मुझे बिगाड़ दो।मुझे संवार दो।जिंदा रखो या मुझे मार दो।मैं जो भी हूँ,जैसा भी हूँ,तुम सा ही हूँ।मैं आदमी हूँ। -
मुझे बिगाड़ दो।मुझे संवार दो।जिंदा रखो या मुझे मार दो।मैं जो भी हूँ,जैसा भी हूँ,तुम सा ही हूँ।मैं आदमी हूँ।
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काश!मैदान-ए-जंगमें बिखरे गर्म ख़ून के कतरों से लिखी जाती प्रेम कविताएं... -
काश!मैदान-ए-जंगमें बिखरे गर्म ख़ून के कतरों से लिखी जाती प्रेम कविताएं...
बत्तियां बुझाओ तो अंधेरे का डर जलाओ तो शिकायत।ये कैसा सवाल है कि यहां लोगों के दिल नही जलते। -
बत्तियां बुझाओ तो अंधेरे का डर जलाओ तो शिकायत।ये कैसा सवाल है कि यहां लोगों के दिल नही जलते।
महबूब सामने है और मैं उसके ख्याल में हूँ।ख़ुदा जाने मैं इश्क में हूँ या किस हाल में हूँ। -
महबूब सामने है और मैं उसके ख्याल में हूँ।ख़ुदा जाने मैं इश्क में हूँ या किस हाल में हूँ।
भूले बिसरे दबे हुए बीजों को जिंदा कर देती हैं ये बारिशें। -
भूले बिसरे दबे हुए बीजों को जिंदा कर देती हैं ये बारिशें।
क्या जरूरी है ज़िन्दगी को ? तुम... ...एक कप चाय और बस। -
क्या जरूरी है ज़िन्दगी को ? तुम... ...एक कप चाय और बस।
बुझ चुकी दिलों में वो आग जलाओ।किसी अंधेरे रास्ते पे चराग जलाओ।अब हर शहर में बिजली है लड़ियाँ हैं।ढूंढो कोई बस्ती उसमें चराग जलाओ।उन का घर रोशन है जिनका घर है।हो कोई बेघर उसके चराग जलाओ।माँ-बाप से अलग हो कर रह रहे हो।फायदा नही जितने चराग जलाओ।किसी प्यासे को पानी पिलाओ फिर।जरूरी नही की कोई चराग जलाओ।जहाँ की सब नफ़रतें खाख़ हो जएँगी।बस मुहब्बत का एक चराग जलाओ।रोशनी के लिए खुद को सूरज बनाओ।यूँ नही की बस जा के चराग़ जलाओ। -
बुझ चुकी दिलों में वो आग जलाओ।किसी अंधेरे रास्ते पे चराग जलाओ।अब हर शहर में बिजली है लड़ियाँ हैं।ढूंढो कोई बस्ती उसमें चराग जलाओ।उन का घर रोशन है जिनका घर है।हो कोई बेघर उसके चराग जलाओ।माँ-बाप से अलग हो कर रह रहे हो।फायदा नही जितने चराग जलाओ।किसी प्यासे को पानी पिलाओ फिर।जरूरी नही की कोई चराग जलाओ।जहाँ की सब नफ़रतें खाख़ हो जएँगी।बस मुहब्बत का एक चराग जलाओ।रोशनी के लिए खुद को सूरज बनाओ।यूँ नही की बस जा के चराग़ जलाओ।
तमाम अहसासों केसूख जाने परजब किसीठूंठ साखड़ा मिलूँ मैंतुम्हें किसी गहरे बियाबान के ठीक बीचों बीचबस एक क्षणिक स्पर्श भर देनाताकि फूटपड़ूँफिर सेएक कोंपलठीक उसी हिस्सेसे जहाँ छुआ हो तुमने। -
तमाम अहसासों केसूख जाने परजब किसीठूंठ साखड़ा मिलूँ मैंतुम्हें किसी गहरे बियाबान के ठीक बीचों बीचबस एक क्षणिक स्पर्श भर देनाताकि फूटपड़ूँफिर सेएक कोंपलठीक उसी हिस्सेसे जहाँ छुआ हो तुमने।
याद है ना तुम को वो आखिरी चाय। आओ। कि वो इस गम से निकल पाए। कोई चाय नही चाहती आखिरी चाय कही जाना। -
याद है ना तुम को वो आखिरी चाय। आओ। कि वो इस गम से निकल पाए। कोई चाय नही चाहती आखिरी चाय कही जाना।
दिल-ओ-दिमाग सेअब उतरने लगे होतुम।आँख बंद करने परअब दिखते नही हो तुम। -
दिल-ओ-दिमाग सेअब उतरने लगे होतुम।आँख बंद करने परअब दिखते नही हो तुम।