shilpee Singh   (Shilpee singh)
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Joined 14 April 2019


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Joined 14 April 2019
6 APR AT 11:43

ये एक महिना...एक वर्ष सरीखा है,
मत पूछो हमसे...हर पल कैसे बीता हैं,,

हम कितने करीब थे तुम्हारे,
होके तुमसे दूर ये सीखा हैं,,

कितनी रातें जागें हैं.....कितने ख्वाब मारें हैं,,
आज भी देखो तकिया किनारे का गिला हैं,,

कुछ ख्वाब जो पूरे नहीं हुए...
और ना कभी होंगे शायद ,,
जीवन तो अब समझौते में जीना हैं,,

हर सबक से तो सीख लिया था हमने,
फिर क्यों बसर ने दोष ... हमको ही देना हैं??,

हर्फ़ अभी खामोश है....भीतर ही शोर हैं,
कहों कैसे रहेंगे तुम्हारे बेगर.... जीवन क्या ऐसे ही जीना हैं??



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5 DEC 2023 AT 22:35

अभी जो कहते हैं.... हर हालात में हैं साथ हम तेरे,
पर कभी यहीं नहीं आयेंगे जरूरत काम ये‌ तेरे,


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24 OCT 2023 AT 22:33

"ये कैसी विजयदशमी और कैसा दशहरा,
मनुष्य मन के भीतर जब रावण जिंदा ठहरा ,,

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20 OCT 2023 AT 16:21

"बीता हुआ कल
अब कहां खराब लगा,
पहले क्यों नहीं समझ आता
जो आज लगा,
पुराना स्कूल ही देखो जैसे
गुज़रा हसीन ख्वाब लगा,
यह जगह वहीं थी....
जहां कभी रोज़ रोज़ जाना बहुत खराब लगा,,

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18 OCT 2023 AT 23:34

" दिया तो तूने मुझे सबकुछ......ऐ खुदा,
पर थोड़ा थोड़ा करके ख्वाहिशें ही कम कर दिया .....ऐ खुदा

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16 OCT 2023 AT 22:18

कुछ नहीं,
कोई बात नहीं,
अब सभी से यही कहेंगे,
जब अपना कोई नहीं तो
कहने से पहले हजार दफा सोचेंगे,,

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10 OCT 2023 AT 23:00

"जिसने सोचा था तुमको ही हर घड़ी,
कहता है.....अब तुम्हें क्यों सोचेंगा?
और तुम ही सोच के देखो ज़रा!!
तुम्हारे अलावा वह क्या सोचेंगा??,,

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5 OCT 2023 AT 21:48

"इतना सब कुछ के बाद भी.....
थोड़ी सी.....बस 'थोड़ी' कमी रह गयी इस बार भी ,,

लेकिन, किन्तु, किंचित, लगा लेसमात्र भी,
आज तक अधुरा ही रह गया परिणाम भी,,

निर्थक.... लगने लगा अब प्रयास भी,
फिर थोड़ी सी थोड़ी कमी ना रह जाए इस बार भी,,

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29 SEP 2023 AT 16:50

"कि...... समझदारी हमारी ,अब समझौता में बदल गयी,
लोगों की उम्मीद थी जो बढ़ती रही, यहां उम्र गुजर गयी,,

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29 SEP 2023 AT 16:30

बन्धन सभी,
खो देने के डर से
कितने सच कहें नहीं,,

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