शीपी चंचल   (शीपी'चंचल')
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फिर उड़ना 'नई उड़ान' है
सवार कलम के विमान में है
Insta I'd @shipiabhinav13
Joined 1 October 2020


फिर उड़ना 'नई उड़ान' है
सवार कलम के विमान में है
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Joined 1 October 2020

अब समझ आया भारतीय फिल्मों में सफर इतना सुहाना क्यों होता है और सफर पर इतने सारे गाने क्यों लिखे जाते हैं क्योंकि भारतीय रेल इतनी देर से चलती है, गीतकार को प्रेरणा जो मिलती है, चाहते ना चाहते हुए भी सफर सुहाना लगने ही लगता है, ये ख़्याल इसलिए आया क्योंकि मेरा सफर भी आज सुहाना हो गया 😥🤣

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YESTERDAY AT 15:14

देख पसीने में तर मुझे 😥
कुछ यूं प्यार जता दिया 🥰
खुद की ओर से हटाके पंखा 🛞
मेरी ओर घुमा दिया 😍

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मन में है शोर जाने कितनों के, पर रहते हैं सब मौन
है कलम का सहारा जो, ये मौन कागज पे मचाए शोर

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लो आ गए प्रभु सुनकर सबकी विनती 🙏
जय श्री राम जय श्री राम की रूक ना पाए गिनती 🙏🚩

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__"श्री राम प्रभु"__

युगों-युगों से था,सबको इंतजार
धरती पे मचा था,जब हाहाकार।
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को प्रकटे श्रीराम
हर्षित हुए माता-पिता,देख छवि श्रीराम।
प्राकट्योत्सव का आनंदोत्सव हुआ चहुंओर
मनुज,मुनि, देव, गंधर्वलोक उत्सव चहुंओर।
श्रीराम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न चारों भाई
मन-कर्म-वचन से,रघुकुल की रीत निभाई।
पिता आदेश पालन कर,चले प्रभु श्रीराम
सिया लक्ष्मण सहित,चले वनवास श्रीराम।
कर वध रावण का,सीता मैया को साथ लिए
धरतीलोक,क्या देवलोक सबके उद्धार किए।
अधर्म को मिटा,प्रभु ने की धर्म की स्थापना
मर्यादा पुरुषोत्तम ने की, रामराज्य स्थापना।
हो जब भी पाप और अधर्म का अंधकार
आ जाना मेरे श्रीराम प्रभु ले फिर अवतार।

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____मां अम्बे 🙏____

फिर से आ जाओ मैया,
मझधार में फंसी है नैया।
बन जाओ तुम्हीं खिवैया,
तो पार लगा दो ये नैया।
कैसी ये विपदा है आई,
संग ये आपदा है लाई।
आओ संहार करो हे!मां,
कष्टों को दूर करो हे!मां....
इंसान बन असुर है घूमे,
आज बेटियां है खतरे में।
दुष्टों पर वार करो हे!मां...
काली अवतार लो हे!मां....
देश पर खतरा मंडराए,
शत्रु बैठा घात लगाए।
शक्ति बन जाओ हे!मां...
वीरों की रक्षा करो हे!मां....
फिर से आ जाओ मैया,
मझधार में फंसी है नैया।

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रंगो का त्यौहार
फिर क्यों रंगों से इनक़ार
हो जो ऐसी मस्ती हर बार
अभी से है, अगली होली का इंतजार...

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एक टुकड़ा धूप का, फूल ने बटोर लिया
शुक्र है! और फूलों का, मुकदमा नहीं किया ।

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_____"एक नारी का साथ है बाकी"____

हो सशक्त तुम फिर भी एक कमी है हावी,
नारी को एक दूसरी नारी का साथ है बाकी ।

कभी कहती हो लड़की हुई है बना के मुंह,
बस यहां खुश होकर लक्ष्मी आई कहना है बाकी।

कभी कहती हो बहू है पराई,
पराया बनाया है जो,
उसे अपना के बेटी सा बनाना है बाकी।

कभी कहती हो छोड़ो, ये काम तुम्हारा नहीं,
काम है ये पुरुषों का ये मानना है अभी हावी,
तुम भी कर सकती हो, ये कहना है अभी बाकी।

कभी कहती हो ऑफिस जाए तो पहले रोटी पके,
और आए तो घर भी सजे,
ये आश छोड़ना है बाकी।

कभी कहती हो कब होगी शादी, कब गूंजे किलकारी,
एक से मन भरे नहीं, फिर इंतजार दूसरी किलकारी।
ये बोलने की जगह कुछ अच्छा करो, तरक्की करो, ये सुनना है अभी बाकी।

हाथ थामने की जगह अपेक्षा हो रही है हावी,
हाथ छोड़ने का नहीं साथ देने का समय है बाकी।
हो सशक्त तुम फिर भी एक कमी है हावी,
नारी को एक दूसरी नारी का साथ है बाकी।

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____"ओ वुमनिया "_____

चल बुन ले नए पंख भर नई उड़ान,
फिर छू ले आसमान उड़ जाओ ओ वुमनिया।
बचपन में सीखा हर हुनर तूने,
सपने जो सजाए उनका पिटारा तू खोल,
कर फिर मेहनत हुनर तू सजा,
फिर छूले आसमान उड़ जा तू ओ वुमनिया।
स्कूल कॉलेज फिर शादी गृहस्थी,
फिर आई बच्चों की जिम्मेदारी,
इन्हीं में हो गई तेरी हिस्सेदारी।
रुक कुछ पल ठहर ओ वुमनिया,
इंतजार करती तेरा नयी दुनिया।
देकर कुछ पल हुनर को अपने
कर ले पूरे तू अपने सपने।
निखार प्रतिभा भी अपनी,
बन जा तू भी टिप टॉप ओ वुमनिया,
हो ना कभी मलाल ओ वुमनिया,
फिर छूले आसमान उड़ जा ओ
वुमनिया।
चल बुन ले नए पंख भर नई उड़ान,
फिर छू ले आसमान उड़ जा ओ वुमनिया।

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