शब्दपुर   (shabdpur)
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Joined 1 May 2020


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23 FEB AT 19:54

अबहिन मिला अज्ञात भईयवा
अबहिन मन के मीत होई गवा
परीक्षा केंद्र से घरे आवत आवत
पेपरा ससुरा लीक होई गवा

माई पूछऐं कइसन भवा
बाबू पूछऐं केतना होई गवा
सहम अवजीया बोलें भईया
पेपरा ससुरा लीक होई गवा

इतना सहज सब उत्तर जैइसे
पेपर न, इंद्रजीत होई गवा
लक्ष्मणु माथा पीटऐं बोलऐं
पेपरा ससुरा लीक होई गवा

हमहीं मांगें भर्ती लावा,
हमहीं बोलें निरस्त करावा
लइकन के भविष्य से भईया
कइसन ई राजनीत होई गवा
भ्रष्ट आचरण के चक्कर में
पेपरा ससुरा लीक होई गवा

अब फिर से मांगब आपन हक़
माना........ जैईसे भीख होइ गवा
कुछ रूपियन की खातिर भईया
प्रशासन एतना नीच होई गवा

बोला अबकि चुप्पे लेबा
कह कि सिर्फ हमहीं का देबा
ई वाला त लीक होई गवा
अब अगला वाला का अउर केतना लेबा....???

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23 FEB AT 18:10

अंदर ही अंदर टूट जाता हूं मैं
जब मुझसे ही कहीं पीछे छूट जाता हूं मैं
वैसे तो हज़ारों खंजर भी मेरी मुस्कुराहट के लिए काफ़ी न थे
ऐसे अब हर इक़ इतनी सी बात पर रूठ जाता हूं मैं

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4 NOV 2023 AT 22:39

कोई गम को काट रहा होगा
कोई खुशियां बांट रहा होगा
मीठी....बातों से फुसला कर
कोई मन को झांक रहा होगा

खुद ही नौका खुद ही दरिया
कोई फिर भी हांफ रहा होगा
खो कर हाथों सागर मोती का
आसमां से बूंदे छांट रहा होगा

सब कोई तो सिर्फ अपना अपना
कौन तेरा.......... सोच रहा होगा
कमल को फूल बना वो कीचड़
खुद कहां तक साफ़ रहा होगा....

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4 NOV 2023 AT 22:37

कोई गम को काट रहा होगा
कोई खुशियां बांट रहा होगा
मीठी....बातों से फुसला कर
कोई मन को झांक रहा होगा

खुद ही नौका खुद ही दरिया
कोई फिर भी हांफ रहा होगा
खो कर हाथों सागर मोती का
आसमां से बूंदे छांट रहा होगा

सब कोई तो सिर्फ अपना अपना
कौन तेरा.......... सोच रहा होगा
कमल को फूल बना वो कीचड़
खुद कहां तक साफ़ रहा होगा....

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27 AUG 2023 AT 17:08

प्रत्येक व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों ही सन्निहित होती हैं, बस फ़र्क सिर्फ इतना होता है, कि किसी में अच्छाइयां अधिक तो किसी में बुराइयां अधिक होती हैं।
मित्रों हमें दूसरों की अपेक्षा खुद को
समझने की ज़रूरत सदैव रहनी चाहिए,
अन्यथा की स्थिति में संसार में आपको
समझने वाले लोग बहुत कम,
समझाने वाले ही बहुत ज्यादा नज़र आते हैं।

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4 JUN 2023 AT 20:17

कोई पीछे भुलाकर पुरानी यादों को
नई मंजिलों के लम्हें पिरो रहा होगा,
किसी को किसी से मिलने की खुशी होगी
तो कोई किसी से बिछड़कर रो रहा होगा।
शायद ऐसा हो रहा होगा....

राहगीरों की उस महफ़िल में
सफ़र का कुछ यूं माहौल रहा होगा
निचली बर्थ पर देश के सिस्टम पर बहस,
और ऊपर की बर्थ पर देश का सिस्टम पांव पसारे.... सो रहा होगा।।
शायद ऐसा हो रहा होगा....

पलभर में कोई अपनों को
कोई खुद को खो रहा होगा
जैसा कोई नहीं चाहता था
ठीक वैसे ही तब हो रहा होगा
शायद ऐसा हो रहा होगा....

जैसे पटरियों से ट्रेन का साथ छूट रहा होगा।
जाने कितने मुसाफिरों का जिंदगी का ख़्वाब टूट रहा होगा।
जितना सच सुना था सत्ताधीशों की वाणियों से
अब देख कर लगता है शायद सब झूठ रहा होगा।
शायद ऐसा हो रहा होगा....

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4 JUN 2023 AT 15:51

इनबॉक्स में घंटों लग जाते हैं, bye bye बोलने में....
फिर एक और लास्ट मैसेज...
फिर घंटो लग जाते हैं, bye bye बोलने में....

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13 APR 2023 AT 18:57

इक़ सूरज और.......................
आहिस्ता से ढला था, मेरी कहानी का।।
बिना ताज...... बिना मुमताज..........
अलग ही रूबाब था...मेरी शाहजहानी का।।
शुरुआत थी...मेरी भी
मुझे भी ज़ाम समझा गया,
अंजाम वही हुआ जो होता है...
प्यास बुझने पर पानी का।।

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11 MAR 2023 AT 8:46

पंछी अपना घोंसला कितने भी ऊंचे अथवा घने वृक्ष पर बना ले,
किंतु पतझड़ आने पर वृक्ष पर सिर्फ वही घोंसला
स्पष्ट रूप से नज़र आता है,
ठीक इसी प्रकार व्यक्ति को अपने आप को सिद्ध करने की अपेक्षा
अपने कर्म पर एकाग्र रहना चाहिए,
एक निश्चित समय आने पर आपका कर्म,
उस घोंसले की भांति स्पष्ट रूप से दुनियां को नज़र आएगा,
अब चाहे वह कर्म सही हो चाहे गलत।

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9 MAR 2023 AT 22:21

इक इसी के अलावा, बाकी वो सब वहम होता है।
छोटा ही सही, तुम्हारा हर सपना अहम होता है।
लाखों ख्वाहिशें जन्म लेती हैं, बदले में इक टूटते तारे के
वरना बेमतलब के कहां, किसी का, किसी पर रहम होता है।

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