Shatrughan Soni   (शत्रुघन सोनी)
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Joined 16 August 2018


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22 OCT 2022 AT 22:58

हे मेरे युग के लेखक सुनो
कविता में जब भी लिखना तुम
पूरा का पूरा सच लिखना
भले कड़वा लगे
नीम के पत्ते या करेले सा
भले बदल जाएं स्वाद लोगों के
या भूलने लगें लोग अपनी प्रिय मिठास
लोगों की भृकुटी तन जाए
या
सरकारों के माथे पर बल पड़ जाए
भले तुम्हें झेलना पड़े अस्वीकार
या हो तुम्हारा देश निकाला
तुम पर हमले हों
या तुम्हें चढ़ाया जाए सूली।
तुम लिखना वैसे को वैसा ही
तुम कहना नंगे को नंगा ही
.......…..पूरी रचना कैप्शन में पढें....

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9 AUG 2022 AT 20:48

स्वार्थी न हो इंसान,तो कैसे न हो,
मजबूरियाँ सबकी हैं सबको जिंदा रहना है।

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27 MAR 2022 AT 22:37

अपने बुद्धि,विवेक और सामर्थ्य से परे
जीवन में कुछ फैसले उस अज्ञात सत्ता
या ईश्वर के मानकर सहर्ष स्वीकार कर
लेना चाहिए।

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23 JAN 2022 AT 22:05

देवत्व पाने के लिये हमने देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित कीं,
और इस तरह अपनी भावनाओं की जीवंतता को पत्थर कर दिया।

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29 DEC 2021 AT 23:29

ये नींद तेरा
शुक्रिया
दुख में भी आने के लिए।

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21 DEC 2021 AT 23:06

सिकंदर....
तैंतीस साल की उम्र में,
दुनिया के एक चौथाई हिस्से को जीत,
सैकड़ों फौंजो को रौंद,
सारे पर्वतों को नाप,
समुद्रों की गहराई से लेकर,
विशाल मैदानों को समेट,
बदलकर दुनिया का भूगोल,
बनाकर खुद का एक महाद्वीप,
ले विश्वविजेता की ख्याति,
लूटकर दुनिया की दौलत,
मरा वह शक्तिवान सम्राट,
साधारण ज्वर से हो कमजोर।
अधूरी रह गई थी इच्छाएं,
नहीं पा सका अमर जीवन,
नहीं कर सका तृप्त वह मन,
मर गया किसी गरीब आदमी सा,
अपनी जय विजय को सोचता।
पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें.…

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3 DEC 2021 AT 23:08

बहुत लिखा कवियों ने तुम्हें कि चाँद जैसी हो तुम....
बासी हो चुकी ये उपमाएँ....
मैं नहीं देखता तुम्हें किसी चाँद तारे या गुलाब में...
मैं देखता हूँ तुम्हें घर के उस छोटे से दीपक में जो अंधकार से लड़ता रौशन करता है मेरी दुनिया को।
मेरे घर के गमले का छोटा सा फूल जिसका महत्व भले दुनिया न समझे लेकिन जो मेरे लिए बढ़कर है दुनिया के उन तमाम गुलाबों से जो मेरी दुनिया मे नहीं।
जगंल के किसी कोने में खिले उस फूल सा जिसकी सुंदरता पर लिखी जा सकती हों ढेरों कविताएं रचे जा सकते हों महाकाव्य।
सूरज की निकली हुई पहली अनछुई सी किरण जैसी जिसके अंतरतम में बसती किसी विराट के सौंदर्य की प्रतिमा।

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25 JUL 2021 AT 0:44

रात का होना भी जरूरी है,
ताकि इंसान सो सके ओढ़ के चादर सुकून के बिस्तर में
सारी परेशानियों को कल के लिए छोड़ के
एक उम्मीद के साथ कि कल उठेगा सुबह और उठकर बदल देगा दुनिया को।

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20 JUN 2021 AT 21:17

घर की छत है दीवार है नीवं का पाया है।
बाप,बारिश में छतरी है धूप में छाया है।

बाप है तो दुनिया के सारे रिश्ते नाते हैं।
बाप नहीं है तो हर रिश्ता भी पराया है।

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20 JUN 2021 AT 10:50

न ही दुनिया समझती है न कोई ही समझता है।
बाप क्या होता है,बेटी ही समझती है,बेटा ही समझता है।

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