कब से हाथ मिला रहे हो , अब दिल मिलाओ तो सही,
वक्त मिले तुम्हे अगर तो एक दफा मिलने आओ तो सही।
एक अरसे से थकी इन आंखों को थोड़ा आराम मिल जाए,
मैं जागूं ही ना ,तुम एक बार ख्वाब में आओ तो सही।
अब नहीं रास आते मुझे ये दिन और इसके उजाले,
रात हो जाए, तुम अपनी आखों में काज़ल लगाओ तो सही।
तुमसे इश्क होने को तुम्हारी आंखें ही काफी हैं ,
क्यूं बोझ रखे हो चेहरे पर , ये नक़ाब हटाओ तो सही।
और ज़माना कहता है हम इश्क नहीं कर सकते,
तुम मेरी होकर ज़रा ज़माने पर कहर बरपाओ तो सही।
दिल लगाने के साथ जान देने की भी कीमत है,
इश्क की ये बात ज़माने को बताओ तो सही।
-