shandilya चंचल   (चंचल✍️✍️)
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मेरे शब्द मेरी आत्मा❤✍
Joined 19 April 2020


मेरे शब्द मेरी आत्मा❤✍
Joined 19 April 2020

मैं बेख़बर सी अय्यार तेरे शहर में ऐं ज़िन्दगी
ढूँढती रही ठिकाना खुशियों का....

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शायद इसीलिए
हम थोड़े नादान रह गए
लोगों की चालाकियों को
उनका प्रेम समझ
उसमें ही फँसते रहे
शायद इसीलिए हम
थोड़े बिखरते गए
लोगों की भीड़ को जान लिया
शायद इसीलिए
हम थोड़े एकाकी हो गए
समय के साथ हम नहीं बदले
शायद इसीलिए लोग बदल गए...

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स्वयं को पूर्ण रूप से जानना
दूसरों को जानने से बेहतर हैं...

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कुछ लोगों के लिए उनके स्वार्थ की प्राप्ति सर्वोपरि होती है
फिर चाहे उनके सामने उनके घनिष्ठ क्यूं न हो...

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सब ठीक हो जाएगा
ये वाक्य किसी मृग मरीचिका से कम नही
जो आशा तो बाँधे रखता है
पर वास्तव में होता नहीं ..

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चंद काँटों के आने से
राहो में
ज़िन्दगी बहुत बड़ी हैं
फूलों पे चलने के लिए...

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3 MAY AT 22:57

फ़िक्र न करना
ज़िंदगी को बिना
किसी हिचक के जीना
दूसरों की परवाह न कर
ख़ुद के लिए जीना ..
आसान बस लगता ही है....

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3 MAY AT 22:47

जलाये रखिए साहब
क्यूंकि मन का अंधेरा
जीवन भर का उजाला छीन लेता हैं...

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3 MAY AT 19:51

Some people consider themselves the sun And other people as planets which revolves around them....

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2 MAY AT 12:28

अपने वजूद को न खोना
ही सबसे बड़ी जीत हैं..

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