इंतजार, बड़ी बुरी लगती है जब किसी के लिए करना होता है। अपनी छोटी छोटी आँखों को हल्के से खोलकर वो देखने की कोशिश कर रहा था, धुंधले से नज़ारे में भी दूर से आती हुई, उसे वो साफ़ साफ़ दिख रही थी। उसका लौट कर आना केवल उसे नहीं लाया था, उसके संग आयी थी उम्मीद, आशा, आश्वासन और उसका सुकून। जैसे ही वो उसके करीब आयी, आँखे बंद कर उसने खुदको उसके सामने समर्पित कर दिया। फिर अपने होठों से पुचकारते हुए उसके उसके माथे को सहला दिया फ़िर अपने होठ को उसके होठ में डालकर उसे दाना खिला दिया, वो जो खुद भूखी रह कर अपने बच्चे के लिए बचा कर लायी थी।
माँ के ममता की कोई तुलना नहीं है। फिर चाहे वो इंसान हो या पंछी।
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