Shalini gupta   (Kuch___alfaj__)
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Joined 9 April 2021


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27 MAR AT 14:57

तुम मैं और हमारी मोहब्बत की यादों में महकता ये फूल,इन हवाओं को भी तुमसे मोहब्बत न हो ये मुमकिन कहा.....

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9 MAR AT 6:17

सुर्ख गुलाबी होठों को चूम के
मुझे आज बहक जाने दो,
इक अरसा सा हुआ जैसा तुम्हें
देखे, आज मुझे प्यार जताने दो,
न करो शिकायत की वक्त जरा कम
हैं, आज मुझमें डूब कर,इस वक्त
को सादियो में बीत जाने दो।

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9 MAR AT 6:11

गैरों से दिल लगाया हैं,
तुम हो नहीं मेरे,
फ़िर भी तुम्हें पाने की
कोशिश में खुद को
हर रोज मिटाया हैं।

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15 FEB AT 21:21

हर रोज़ तुम्हें अपनी बाहों में समेट कर तुम्हें सपनों में गले लगाता हूं, कितनी नादान सी है ना मेरी ये मोहब्बत,तुम सामने मेरे आखों में काजल लगाए सुर्ख गुलाबी होठ से मुस्कुराती हों, और मैं तुम्हारे कमबख्त ज़माने के डर से तुम्हें दो पल भी अपने करीब होते हुए भी निहार नही पाता हूं।

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13 FEB AT 22:21

तब तक हार ना मानिए जब तक आपकी अंतरात्मा न कहे हारने को..... लड़ते रहिए गिरिए उठिए संभालिए यही संघर्ष हैं और जीवन का सार भी।

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3 JAN AT 22:06

आखिर क्यों विधि का विधान का लेख बदला नहीं जाता,बच्चे पाले तो जाते हैं बचपन से साथ,फिर क्यूं एक वक्त बाद बेटियों को घर में देखा नही जाता,कभी बोझ तो कभी तुम बुढ़ापे का सहारा नहीं ये कहकर उन्हें पराया होने का अहसास दिलाया जाता हैं,फिर क्यूं शादी के बाद बदल जाने के बाद भी बेटों को बुढ़ापे का सहारा बताया जाता हैं,बदलता जमाना नई खोजों को जीवन का आधार बताता हैं,बस सबकुछ होने के बावजूद फ़िर क्यूं,ये ज़माना बेटियो को बेटों के बराबर हक मिलने को सहन नहीं कर पाता....✍️✍️✍️✍️

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25 NOV 2023 AT 17:44

शहरों की हकीकत हम जानते हैं,
छुपी खूबियों में झूठ और हकीकत हम जानते हैं,
मिटाना नही गरीबी न करना कोई भी हरकत,
बस चादरों से ढककर, दिखाना इस शहर को खूसबूरत, ये दिखावे के हुनर हम जानते हैं।

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24 NOV 2023 AT 7:03

यादों मे सिमट कर कुछ बातें साथ हैं,
तुम संग हुईं हर मुलाकाते साथ हैं,
हैं उतनी ही मोहब्बत हम दोनों को आज भी
जितनी हमारी हसीन पहली मुलाकात
की यादें साथ हैं।

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8 AUG 2023 AT 1:43

न जाने कितनी रातें मेरी कुर्बान हैं इक तेरी चाहत में।।

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31 JUL 2023 AT 15:00

तलाशा तुम्हें यूं की ख़बर तुम्हारे नाम की हर ज़र्रे ज़र्रे तक पहुंचाई हैं, यकीं ना था की शिकायत तुम्हें हमसे तो थीं ही नहीं ये तो दूर होने का इक बहाना था।

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