लगी है आग मेरे दिल में तड़पते तुम क्यों, मेरा दिल तुम्हारे शरीर में थोड़ी ना है। छोड़ दो यह झूठे पर्दे इन पर्दो का क्या कहना, यह शरीर मेरी है, जान तुम्हारी थोड़ी ना है।।
मैं इश्क रोज थोड़ी थोड़ी सीखता हूं और थोड़ा भूल जाता हूं यह इश्क इतना आसान थोड़ी ना है कई दिन, कई रातें लग जाते है सीखने में यह सीखना और भूल जाना यह बताते अब मैं मुझ में नहीं रहा, तुम्हें कैसे बताऊं अपने धड़कन का राज तुम्हें कैसे सुनाऊं