Shahid Khan   (शाहिद खान अज़िमाबादी)
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Joined 15 December 2018


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Joined 15 December 2018
31 JUL 2023 AT 5:14

तीन मरहले पार करने पे वो मिलता है
पहले दरिया है फिर दश्त बाद में सहरा है

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25 JUL 2023 AT 0:46

लिटा के बच्चों को माँ के पाँव तले
कहा बाप ने जन्नत कि जाओ सैर करो

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22 JUN 2023 AT 12:00

बाहर का मंज़र है क़यामत क़यामत
घर ही बहिश्त है गर्मी के लिए

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17 JUN 2023 AT 11:05

कुछ तो छोड़ आयें है दिल्ली में हम
सीने में अब कुछ हमारे धड़कता नहीं है

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27 APR 2023 AT 0:57

हसरत से देख देख के कहता है हर एक ग़ुल
काश तुझ सा भी होता कोई फूल हमारे चमन में

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22 MAR 2023 AT 12:18

मिला फ़रेब जब तुझे ग़ैर से ऐ परिंदे
तब आया तुझे जा-कर ख़्याल हमारा

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1 JAN 2023 AT 6:45

कोई अलामत भी दिखे नये साल का
वही सुब्ह वही पहर वही रात है

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21 NOV 2022 AT 16:00

हाथ काटा सर फोड़ा परेशान किया
ऐ ज़िंदगी हम ने तेरा बहुत नुकसान किया

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9 SEP 2022 AT 21:08

दश्त-ए-दिल में एक वहशी शख्स
रोज़ नीम-शब चींखा करे है

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5 SEP 2022 AT 15:32

कभी कभार रोना मन करे है हल्का
मुततसल रोवे से उब जावे है दिल

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