तुम्हें फोन कर के भी तुमसे बात नहीं करना मेरी मजबूरी थी। मैंने यूं ही फ़ोन किसी और को लगाने का बहाना नहीं बनाया था। मैं फिर आज की रात तुम्हें याद नहीं करना चाहती थी। तुम्हारी आवाज़ सुनने के बाद तुम्हारी आवाज़ नहीं सुनने का मन हो ही नहीं सकता। बहुत मुश्किल से तुम्हारी आवाज़ सुने बिना जीने की आदत लगी है। अब इसे ऐसे ही रहने देना चाहती हूं। और तुमने भी जितनी आसानी से पूछ लिया न कि कुछ काम था क्या, जैसे तुम्हें मालूम ही नहीं मुझे तुमसे क्या काम हो सकता है, वो काबिल ए तारीफ़ था। मैं बिना बात किए तुम्हें जितना समझ लेती हूं, उतना शायद बात कर के भी कोई न समझ पाए।
तुमने कहा था शगुन हम दोस्त हैं न। शायद हम थोड़े बहुत दोस्त थे भी। और दुनिया के लिए हम दोस्त हो भी सकते हैं। मगर मेरी दुनिया अलग है। मेरी दुनिया में हम दोस्त नहीं हैं। मेरी दुनिया प्रेम की दुनिया है। और मेरा प्रेम तो तुम हो। तुम्हारे बाद मैं जिससे मिली उसे अपना दोस्त तो बना लिया, बहुत अच्छा, सबसे अच्छा दोस्त भी बना लिया मगर प्रेम न हो पाया।
मेरे प्रेम की दुनिया के बने रहने के लिए तुम्हारा होना ज़रूरी है। मेरे लिए तुम्हारा होना ज़रूरी है। तुम मेरा प्रेम हो और मैं यह प्रेम जीती रहूं, इसलिए तुम्हारा होना ज़रूरी है।।
-