याद आती है, मगर फिर भी खुश रह लेता हैं, रख कर सर तकिये पर वो भी अक़्सर रो लेता हैं... क्या होता है, किसी अपने का दूर चले जाना, पूछो उनसें जो कम उम्र में ही ज़िम्मेदार हो लेता है...
वो मुझसे नहीं लेकिन मेरी बातों से कतराते थे, महफ़िल में वो खुद के चेहरे देख कर डर जाते थे... सच कहता था मैं हमेशा, इसीलिए वो किसी महफ़िल में आने से घबराते थे...