S͠h@kir S͠aifī   (Mr. saifi...✍️)
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Joined 23 December 2017


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Joined 23 December 2017
11 APR AT 10:23

Eid Mubarak

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4 APR AT 20:53

कुछ गलतियां जज़्बात में आकर कर गए ,
कुछ उसकी बेकार बात में आकर कर गए!


जो काम उसको करना था हमारी मौत के बाद
वो सब कुछ मेरे हयात में आ कर कर गए


उसने कहा मुझसे "शाकिर" हद में रहो अपनी,
हम गुस्ताखी अपनी औकात में आकर कर गए!

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28 MAR AT 22:22

एक टाइम के बाद फर्क पढ़ना भी बंद हो गया,
उसका मुझसे मुसलसल लड़ना भी बंद हो गया!

मेरी बातें कभी कभी उसको ज़हर लगती थीं,
फिर मेरा उस पर अकड़ना भी बंद हो गया!

उसका कहना था तू मेरा है और फकत मेरा है,
कुछ दिन से उसका ऐसे झगड़ना भी बंद हो गया!

पूछा उस से जब कोई बात झुटी लगी हमे फिर
उसके बाद मेरा वो बातें पकड़ना भी बंद हो गया!

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24 MAR AT 22:18

ये दुनियां काबिल तरीन भी होगी!
कभी सुना था जहीन भी होगी!

अदालत फिर से लगेगी जिस दिन,
आसमान उस दिन ज़मीन भी होगी!

लहराएगा एक रोज परचम सब्र का,
बातों हमारी फिर अमीन भी होगी!

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24 MAR AT 22:14

तुम्हारी बातों से हम शर्माएं नही हम
तुम्हारी आंखों में समाए नही हम

माफ करना हमारी इस गुसाखी को
तुम्हारे बुलाने पर भी आए नही हम

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21 MAR AT 21:37

मैं ऐसा कभी भी आदतन नही करता!
बस उस से बात करने का मन नहीं करता!

सब अधूरा रहा बस मुलाकात ना अधूरी हो
इस लिए उस से मिलने का वचन नही करता!

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19 MAR AT 7:27

तेरी गली तेरे मकान से आ गया हूं!
बाहर तेरे दिल ओ जान से आ गया हूं!

वो सोचता था में बाज़ आ जाऊंगा एक दिन
पर में बाज़ उस इंसान से आ गया हूं!

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4 MAR AT 22:18

मेरी जान लगभग आफत हो गई
मुझे एक शख्स की आदत हो गई

जिन के फैसलों के भरोसे बैठा था में,
उन्हीं के हाथो ज़िंदगी अदालत हो गई!

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27 FEB AT 22:32

आया हूं उसके पास अपने ख़्याल छोड़ कर,
अपनी पसंद के अहल-ओ-अयाल छोड़ कर!

कुछ ऐसा हुआ की बस मुझे जवाब नहीं मिले,
अब कुछ नही मेरे पास मेरे सवाल छोड़ कर!

कुछ करने की चाहत में इश्क़ कर बैठा था,
अब कुछ करता नही हूं में मलाल छोड़ कर!

अपनी ऐसी हालत बनाई लोगों ने "शाकिर"
अब तो सब हज़म होता है हलाल छोड़ कर

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26 FEB AT 19:08

तू ऐतबार कर हम तेरा इंतज़ार कर बैठे!
तुझे जाने बिना तुझसे प्यार कर बैठे!

सामने नहीं आता है कोई हमारे आज कल,
और हम तुम्हे अपने सर पर सवार कर बैठे!

तुझे भी नही होता यकीनन मुझसे भी नही होता
हम दूर रहने के बहाने भी हजार कर बैठे

ख्वाब में देखा की मेरे ख्वाबों में आई हो तुम
वहां तुमसे बचना था मगर आंखे चार कर बैठे

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