होंठों पे कुछ दिल में हैं कुछ,दर्मियां ये नहीं अच्छा
बाद में हो,इस पहले, अब बिछड़ जाना ही अच्छा हैं
मुझको तलकी़न करते हैं जो, ख़बर उनको नहीं मेरी
ग़म में अक्सर मैक़दे का,दर ठीकाना ही अच्छा हैं
सुना हैं रुत बदलती हैं, बदलते तुमको देखा हैं
मेरी हर बात पे सिक़वे, ये बहाना ही अच्छा हैं
श़हर छोड़ा वतन छोड़ा,तेरा कुछ हैं पास मेरे
तेरी तस्वीर को जाना,अब जलाना ही अच्छा हैं
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