satyam mishra   (Satyam)
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Emptiness
Joined 5 May 2020


Emptiness
Joined 5 May 2020
3 JAN AT 15:37

एक शाम खास था,
हर आइना मुस्कुरा रहा था।
पलकें झुकी थी,
हर रात टिमटिमा रहा था।
खुली जुल्फों में मैं जज्बातें समेट लेती हूं,
हर पल खास सा है,मैं अब भी बैठे यही सोचती हूं।

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27 NOV 2023 AT 2:13

शायरों की महफ़िल से एक शे'र चुरा लाया हूँ,
हुस्न-ए-वफा का एक दौर चुरा लाया हूँ,
एक शाम चुरा लाया हूँ,
एक प्यासी जाम चुरा लाया हूं,
सरेआम चुरा लाया हूं,
तेरा नाम चुरा लाया हूं,
नाम इश्क.............❤

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29 AUG 2023 AT 17:36


इश्क में तेरे हम कुछ यूं सवरने लगे हर पल हम फिर से जीने लगे.......
एक शाम मेरी हंसी यूं ले गई थी,
एक शाम ने हमें लौटा दिया।
एक शाम हमने अकेले दिल के टुकड़े समेटे हैं,
एक शाम ने हमें घर बुला लिया।

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21 AUG 2023 AT 2:58

तेरे रास्ते है जिंदगी....
ऐ जिंदगी मैं हूं कहां?
मंजिलें हैं कहीं?
ए जिंदगी तू ही बता।
तेरे रास्ते है जिंदगी....
ऐ जिंदगी मैं हूं कहां?
खफा मुझसे जुदा होकर तू..,
समंदर सा फिर क्यों बटा?
मैं जाऊं कहां तू ही बता?
तेरे रास्ते है जिंदगी....

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21 AUG 2023 AT 2:52

कुछ शब्द मैं लिख दूंगा,
कुछ शब्द तुम आईनों में पढ़ना।
कुछ कदम हम साथ चलेंगे।
तुम हमेशा सितारों को चुनना,
कुछ शब्द मैं लिख दूंगा,
कुछ शब्द तुम आईनों में पढ़ना।

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24 JUN 2023 AT 19:17

_दहेज़_

खामोश क्यों है लोग सारे,
क्या सो रहा सारा जहां?

क्यों रिश्ते जुड़ने को समझौते हैं ऐसे,
क्या साथ चलने को बस समझौते थे पैसे ?
क्या दिल ने बांधी ऐसी डोर? या हम खोए हैं इन शोरों में..
वक्त लगें हैं उठने को, फिर हम बिक रहे किस की जोरों में?
क्या बाहुबल से कमजोर तु, या पैरें तेरी बंधी है?
वो साथ तेरे खड़ी है फिर किस चीज की कमी है?

खामोश क्यों है लोग सारे,
क्या सो रहा सारा जहां?

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15 JUN 2023 AT 19:00

तेरे चेहरे के नक्श मैं पन्नों पर कुछ यूं उतार जाऊंगा,
मेरे शब्दों में मोहब्बत की खुशबू रह जाएगी।

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10 MAR 2023 AT 1:37

धड़कनों में शोर,
आंखों में सब्र बाकी है।
तू कब्र तक भी मिल जाए,
बस यही वफा!,
तू मुझ में अब भी कहीं बाकी है।....

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8 FEB 2023 AT 9:14

बालियां भी कह रही,
थिरक रही है जुल्फों में।
हसीन ये निगाहों में,
जाने कितने राज बाकी है?
गाल ये गुलाल, लाल रंग भी है इश्क की,
लफ्ज़ हैं सवाल, ख्याल क्या है तेरे दिल की?

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25 JAN 2023 AT 1:15

एक चेहरा हमने बंद आंखों में देखा,
हर लम्हा शादाब था...
रात अंधेरी पर आसमां उजाला था।
उनका मुस्कुराना महताब था।

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