ऐ स्त्री!
तेरा एक अस्तित्व है,
किसी का इश्क होने से पहले,
तेरा एक वजूद है,
किसी का कल होने से पहले,
तू निर्भर नहीं है,
न वक्त पे, न ज़माने पे,
तेरे हर कदम पे नज़र रखेगा,
न कर शिकायत तू इस ज़माने से,
तुझे अपनाने वालों से बढ़कर,
ठुकराने वाले मिलेंगे,
लेकिन एक रोज़ वक्त के हिसाब भी खुलेंगे,
तू जो खामोश हो जाए तो युग बदल जाए यहां,
शोर करने वाले चाहे तुझे, हर मोड़ पे मिलेंगे।
-