वह उस युद्ध का सिपाही था जो कभी हुआ ही नहीं वह उस आंदोलन का आंदोलनकारी था जिसमें सिर्फ वही था वह एक ही समय मे सबके हिस्से का पुण्य अपने नाम करना चाहता है वह एक ही समय मे कई युगों में अपना परचम लहराना चाहता है विध्वंस के बाद अब वह विहंगम दृष्टि डालकर शायद अट्टहास कर रहा है नहीं,नहीं, विदूषक आपका नहीं ,शायद अब खुद का उपहास कर रहा है @सरोज यादव