औरत जो अपने अंदर समेटे पूरी कायनात है... पर...
समाज समझता कहां उसकी कोई औकात है।
नौ महीने पेट में रखती सृष्टि के हर मानव को,
जन्म देकर, दूध पिलाकर मर्द बनाती बालक को,
हर तकलीफ से दूर रहता पकड़कर उसके आँचल को।
फिर भी मर्द समझता कहां उसके जज़्बात है....
सदियों से मर्द ने औरत को दबाकर रखा,
तन का शोषण किया, उसे महज़ खिलौना समझा,
क्या कभी औरत और मर्द बराबर होंगे, उठता यह सवालात है...
क्या वो समय आ गया है, जब औरत को उसका हक़ मिलेगा,
कहीं कोई गर्भपात न होगा, लड़की लड़का सब एक बराबर होगा,
खुला आसमां होगा तमाम स्त्री जाति के लिए...
बोलो इस बारे में,आप सबका क्या ख्यालात है....
औरत जो.. फिर भी... औकात है।
तमाम स्त्री जाति को नारी दिवस की शुभकामनाएं
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