मेरे अपने
बहुत करीब से देखा है करीबियों को,
आपकी आँखों में आँसू हो,तो ये दहाड़ मारके रोते हैं
आख़िर अपने तो अपने होते है...
रोनेवाले कईं, पर आँसू पोछनेवाला कोई नहीं,
कमाल ये की यहाँ सब अपने हैं,पर अपना कुछ नही
अपनों के घर हो छप्पनभोग, और मेरा बरतन खाली
पर क्या करें बेचारे,ये तो मेरी किस्मत मेरी कहानी...
प्रकृति के कुछ नियम जो प्रकृति ने नही बनाये,
जो खड़ा है उसपे सब लुटाएं
जो गिरा है उसको कौन उठाएं...
फिर कोई जीता हो या मरता,भूखा हो या प्यासा,
अपनों के पास तो हर मर्ज़ का बस एक इलाज़,
दिलासा दिलासा और दिलासा...
बहुत करीब से देखा है।।।।।।
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