sarika shashwat   (Sarika)
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Joined 16 March 2019


Joined 16 March 2019
11 MAY 2022 AT 22:01

तुम्हीं से है

कि उस इक गाँव की खुशबू,हवा के साथ गुज़री है
जहाँ पे ख़त्म थी बातें, वही से बात गुज़री है
किसी की याद को पाला कई सालों से सीने में
उसी को ये नही मालूम कि हमपे क्या क्या गुज़री है।
कई सुबहें कई शामें,वहाँ पे छोड़के आएं
पढ़ी मैंने कई गज़ले, पर तेरे गीत ही गाएं
कहानी इक अधूरी सी जो पूरी हो नहीं पाई
ना मैंने हाथ फैलाया, ना तुम मुड़कर कभी आएं।
तुम्हीं मेरी सुबह हो और,ये शामें भी तुम्हीं से है
चमकते चाँद के सारे सितारें भी तुम्हीं से है
तू मेरी नींद में आकर मेरे ख्वाबों को मरहम दे
ज़ख़म भी ये तुम्हारा है,दवा भी ये तुम्हीं से है।।

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15 FEB 2022 AT 13:10

मेरे अपने
बहुत करीब से देखा है करीबियों को,
आपकी आँखों में आँसू हो,तो ये दहाड़ मारके रोते हैं
आख़िर अपने तो अपने होते है...
रोनेवाले कईं, पर आँसू पोछनेवाला कोई नहीं,
कमाल ये की यहाँ सब अपने हैं,पर अपना कुछ नही
अपनों के घर हो छप्पनभोग, और मेरा बरतन खाली
पर क्या करें बेचारे,ये तो मेरी किस्मत मेरी कहानी...
प्रकृति के कुछ नियम जो प्रकृति ने नही बनाये,
जो खड़ा है उसपे सब लुटाएं
जो गिरा है उसको कौन उठाएं...
फिर कोई जीता हो या मरता,भूखा हो या प्यासा,
अपनों के पास तो हर मर्ज़ का बस एक इलाज़,
दिलासा दिलासा और दिलासा...
बहुत करीब से देखा है।।।।।।
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1 MAY 2021 AT 12:33

क्यों मौन हुआ सब देख रहा,धरती की इस बेहाली को,
साँसें बिखरी है यहाँ वहाँ, हर शु फैला है धुआँ धुआँ,
यहाँ अपनों के अपने छूट रहें, और सियासी इस गलियारे में...
कुछ अब भी हैं जो कफ़ने लूट रहें।।
इस बदहाली के आलम में,जो चले गए वो सुकूँ में हैं,
जो ज़िंदा है वो मरे हुए...
कब होगा अंत इस मंज़र का,ये राज़ तो खोल,
ऐ आसमाँ कुछ बोल।।।

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2 JUL 2020 AT 19:10

बड़ी ऊंचाई से गिरना भी काम आ गया।
कई गिरे हुए लोगों की पहचान हो गई।।

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2 JUL 2020 AT 18:26

जब कभी सोचती हूँ की अपने रिश्तों का फैसला किसपे छोड़ु... दिल पे या दिमाग पे...
तो लगता है जीते आखिर में कोई,
हार तो मेरी ही होगी।।।

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29 APR 2020 AT 15:58


The blue sky has turned to grey...
No more stories...
You gone away...

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9 FEB 2020 AT 19:57

हर शोर के पीछे ख़ामोशी हीं तो है,वरना,
दिलों में इतनी आवाज़ें और आंखे खामोश क्यो होती।।

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9 FEB 2020 AT 19:36

तुम ही में मैं,मुझ ही में तुम।
हम ही में हम,ना जाने कहाँ गुम।।

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6 MAY 2019 AT 13:44

A resolution which is meant to be broken😂

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6 MAY 2019 AT 13:39

आज भी याद है जब लीपा करते थे,
मिट्टी से घरों की ज़मीन को,
दिलों में अज़ीब सी ठंडक,
और रिश्तों में गर्माहट रहा करती थी...

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