Sapna Sharma  
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Joined 27 August 2021


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3 MAR 2022 AT 0:37

जो जा चूका उसे पुकारना
अच्छा नहीं लगता...
चांद दिखते ही वो याद आना
अच्छा नहीं लगता...
और उसके दीदार को बंजारों
की तरहा घूमता हुं उसकी गलियों
में मग़र उसे मेरा आना भी
अच्छा नहीं लगता...

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2 MAR 2022 AT 12:36

नहीं रही वो खवाहिशें अब
जो तेरा साथ चाहती थी...

बदल ली वो राहें अब
जो तेरे दरिचे तक जाती थी...

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2 MAR 2022 AT 9:41

किसी को पसंद आये या
ना आये मग़र मैं जो हूं
मुझे बस वही रहना है..

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1 MAR 2022 AT 12:14

उसी ने सच्चा ज्ञान लिया...

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1 MAR 2022 AT 12:07

मैं तो बस तेरी मर्जी से चल रहा था
कहानी खुद ब खुद बन गई...

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28 FEB 2022 AT 17:12

ये वो दरिया है जो कभी ठहरता नहीं...

गांठ लगाने से नहीं होते मनसूबे मकसूद
क्योंकि पंख बिना पंछी कभी उङता नहीं...

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28 FEB 2022 AT 16:18

आगे ही रहती है
मैं ठहर भी जाऊं
वो कहां ठहरती हैं..
और ग़र दिल तङप उठे
दीदार को उसके
आंखें भर आती हैं
मग़र वो कहां आती है...

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28 FEB 2022 AT 15:35

खामोशी में जो बात है
वो हरफो में कहां...
मग़र बिन कहे वो समझले
मेरा ऐसा नसीब कहां...

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25 FEB 2022 AT 16:45

तेरे दिए हर जख्म को
बङे सुकून से पी रहे हैं...

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24 FEB 2022 AT 9:46

सुनाने लगे गमे दास्ताँ वो जब
उस दिन बारिश बहुत थी मैं
समझ ना सका पानी और
आसूं का फर्क तब...
दिया था कंधा उसे संभालने को
क्या मालूम था एक दिन करेगा
ये बे सिर उसी को...
ठीक है मग़र अब रोएगे नहीं
इन पलकों को अब भीगोएंगे नहीं
मग़र जाते जाते एक बात सुनते जा
कि अब तू भी खुश तो रहेगा नहीं...

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