दो चार कदम नहीं, सात जन्म साथ चल पाओगे क्या? मेरी उंगलियों का स्वाद पसंद नहीं मुझे, अपने हाथों से निवाला खिलाओगे क्या? रुठुंगी मैं जब भी तुमसे, प्यार से मुझे तुम मनाओगे क्या? खाली दिल लेकर आई हूं मैं, अपने प्यार से इसे भर पाओगे क्या? सात फेरे लेना चाहती हूं मैं, तुम मेरी मांग सजाओगे क्या? दो चार कदम नहीं, सात जन्म साथ चल पाओगे क्या?
प्यार तो बेशुमार है तुमसे, थोड़ा जताने दोगी क्या? देते होंगे लोग महंगे तोहफे, तुम मेरे लाए झुमके पहनोगी क्या? और सिर्फ़ होटल या सिनेमाघर नहीं, मेरे साथ मंदिर भी चलोगी क्या?