Sanjana Raj   (Sanjana-jp)
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Joined 11 May 2019


Joined 11 May 2019
21 SEP 2021 AT 11:11

Mohbbat हो तो ग़रीब से हो,
तोहफ़े ना सही मग़र धोखे नहीं मिलेंगें।।

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18 SEP 2021 AT 11:02

अपने सपनों को आगे रखो ,
रिश्तों का.......
आज के ज़माने में कोई भरोसा नहीं।।

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9 SEP 2021 AT 4:54

बुरे वक़्त में भी एक अच्छाई होती हैं,
जैसे ये आता हैं फालतू लोग विदा हो जाते हैं।।

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21 AUG 2021 AT 20:03

इस बेशुमार भीड़ में बोझ हैं ख़ालीपन का,
इतना खाली हूँ आज कि,
ना शब्द है, ना भाव हैं, ना विचार हैं।।

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20 AUG 2021 AT 14:40

बेवज़ह ही ख़ुश रहना अच्छा हैं
आज कल,
वजहें तो बहुत महंगी हो गयी हैं।।

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16 AUG 2021 AT 9:43

ये ज़िन्दगी हैं ज़नाब,
माँ नहीं कि जो,
हर वक़्त प्यार दे।।

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16 MAY 2021 AT 1:24

शहर बसा के गाँव ढूंढ़ते हैं,
अज़ीब पागल हैं लोग,
हाँथ में कुल्हाड़ी लेकर छांव ढूंढ़ते हैं।।

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29 APR 2021 AT 23:21

🙏 Oh! GOD,,🙏
कुछ साँसें अभी बाकी हैं, हो सके तो उसे बचा लो,
इस शरीर को मिट्टी में ना मिलने दो,
हो सके इसे बचा लो...
कुछ भूखें हैं कुछ लाचार हैं,
कुछ साँसों की सौदा करने में हो गए बेकार हैं...
हो सके तो उनकी लाचार भूख को बचा लो,
डर से मर रहे उन साँसों को बचा लो,
हो सके तो इस जाल में फंसा इंसान को बचा लो....
अब सहा नहीं जाता अब रहा नहीं जाता,
कब कौन चला जाए क़ुछ कहा नहीं जाता...
हर दिन एक-एक को खोते हुए अब टूट चुके हैं,
इन आँशुओँ के शैलाब को गिरने से बचा लो,
कुछ साँसें अभी बाकी है, हो सके तो बचा लो...
इस शरीर को मिट्टी में मिलने ना दो हो सके तो बचा लो।।









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26 APR 2021 AT 12:54

तारीख़ बदली हैं, लेक़िन मंजर वहीं हैं.....
दीप नहीं अब लाशें जल रही हैं,
लोग थाली नहीं अब छाती पिट रहे हैं।।

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21 APR 2021 AT 14:39

मौत से नहीं
मरने से डर लग रहा है,
इस महामारी में अपनों से बिछड़ने से डर लग रहा हैं।
डर ने दर्द को इतना बढ़ा दिया हैं कि,
अब डर लग रहा हैं,
मरघट पर लाशों की ढेरों को देख अब तो रूह कांप उठा हैं,
अपनो की पहचान करना भी मुश्किल हो गया
मौत से नहीं अब तो मरने से डर लग रहा हैं।
ना जाने कब हम उस भीड़ में कही खो जाए,
अपनो को, मिलना भी मुश्किल हो जाये ।
ऐसा कहर हैं कि, अब बचना मुश्किल हो गया हैं,
मौत से नहीं अब मरने से डर लग रहा हैं...
कहाँ ढूंढेगे मुझको मेरे अपने,
जब किसी चददर में लिपटे हुऐ होंगे,
कितना तड़प रहे होंगे वो लोग ,
जो मौत की आख़िरी साँसे गिन रहे होंगे..
यही सोच के मन बार-बार घबरा रहा है,
अब मौत से नहीं
अब तो मरने से डर लग रहा हैं।।


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