जब मैं जन्मा, दो आंखें, दो कान ही तो थे ,
फिर ये बुर्का, ताकिया, टीका किसने लगाया,
जब मैं जन्मा, तो सब नवजात बराबर ही तो थे,
फिर ये जात पात, नस्ल, धर्म किसने सिखाया,
जब में जन्मा,तो सबको हंस के मिलता था,
फिर ये संहार, व्यभिचार, अत्याचार किसने सिखाया,
जब मैं जन्मा,तो सिर्फ माँ का दूध ही तो था,
फिर ये कत्ल कर, लाशों को खाना, किसने सिखाया,
जब जाऊँगा जग से, तो खाली हाथ ही तो होंगे,
फिर ये दंगा फ़साद, ये धन प्रमाद करके क्या पाया,
जब जाऊँगा जग से, तो बस कर्म ही साथ होंगे,
फ़िर ये हिसाब लगाता हूं, क्या खोया, क्या कमाया।
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