Sangita Rai  
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Joined 3 December 2018


Joined 3 December 2018
4 APR AT 0:34


भरी बरसात में है आग लगाई जिसने
ठहरे हुए पानी में कश्ती भी डुबाई उसने

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3 APR AT 0:25

मैं भी बैठी हूँ अभी वक्त की ताकीद पर
वक्त ठहरा है मेरी अलसाई पलकों पर

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1 APR AT 1:12

शख़्सियत उसकी मुझे आज भी याद आती है
उसके होने से ही सब था अब वीरानी है बस

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7 DEC 2023 AT 16:30

जब फासले कम हुए
दूरियाँ बढ़ने लगी

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7 DEC 2023 AT 16:16

Living alone
In a crowded place

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21 NOV 2023 AT 16:33

Flowers tell us a delicate story
That you don't have to

Live forever to create
An impact on others

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22 OCT 2023 AT 0:37

हमारे हाथ में कुछ भी तो नहीं
बस मन का वहम है सब कुछ

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14 OCT 2023 AT 14:40

हवाएँ सरहदें पार करतीं हैं बेलौस
परिंदे सरहदें पार करते हैं बेखोफ़

नदियाँ बहती हैं अविरल अबाधित
बादल घुम्मकड़ी करते हैं
सीमाओं के इधर भी उधर भी

तितलियाँ रंग बिखेर आतीं हैं
बाघा बाॅडर के कंटीले तारों के
मध्य से करीने से बचते बचाते हुए
दोनों ओर के घरों के आंगन में

फूलों की खूशबू बराबरी से
बिखर जाती हैं सीमाओं
के बंधन के परे हर तरफ़

वो हक़दार हैं इस आज़ादी के और
इंसान खुश हैं अपनी सरहदी क़ैदगाह में

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13 OCT 2023 AT 21:48

ख़वाब ही तो थे
टूट गये बिना आवाज़ किये

और किसी को
ख़बर भी नहीं हुई

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10 OCT 2023 AT 16:13

पता है!
कभी-कभी कुछ भी हो जाता है

अब हर बात के पीछे कोई लाॅजिक हो
जरूरी तो नहीं*

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