हवाएँ सरहदें पार करतीं हैं बेलौस
परिंदे सरहदें पार करते हैं बेखोफ़
नदियाँ बहती हैं अविरल अबाधित
बादल घुम्मकड़ी करते हैं
सीमाओं के इधर भी उधर भी
तितलियाँ रंग बिखेर आतीं हैं
बाघा बाॅडर के कंटीले तारों के
मध्य से करीने से बचते बचाते हुए
दोनों ओर के घरों के आंगन में
फूलों की खूशबू बराबरी से
बिखर जाती हैं सीमाओं
के बंधन के परे हर तरफ़
वो हक़दार हैं इस आज़ादी के और
इंसान खुश हैं अपनी सरहदी क़ैदगाह में
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