Sandesh Satav  
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Joined 9 July 2022


Joined 9 July 2022
25 APR AT 21:45

ये ऑंखे बेचैन हैं तुम्हारे दीदार के,
शायद हमारे इश्क को चैन मंजूर नहीं...

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17 APR AT 22:14

कहना बहुत था,लेकिन लफ्ज़ जुटा नहीं पाया,
अधूरे अफसाने का ये मेहफ़िल मजाक जो उड़ाती हैं...

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16 APR AT 21:20

शायद अब मोहब्बत का एहसास नहीं,
याद तो आती हैं, लेकिन आँखें नम नहीं होती...

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11 APR AT 21:48

ना हटाना पर्दा तुम्हारे चेहरे से साकी,
हटा दिया तो मेहफ़िल में कयामत होगी...

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9 APR AT 22:02

अरसो से एक ही अफसाना सुना रहा हूँ,
यादों को लफ़्जो में पिरोकर सुना रहा हूँ...

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8 APR AT 21:37

हसीं हैं हवा और हसीं हैं तेरा खयाल भी,
आजा, तुम्हें मोहब्बत का रिवाज़ सिखा दूँ...

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7 APR AT 22:15

मोहब्बत का शहर था, हर गली मोहब्बत की थी,
ना जाने यहाँ , बेवफ़ाओ की भीड़ कैसे हो गयी

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5 APR AT 22:12

हकीकत होतीं तो तलाशना पड़ता,
हमारे इश्क़ की अफ़वा तो हवा में घुल गयी...

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4 APR AT 22:13

ये इश्क़ का भी अजीब सलीका है,
कभी अपनाता नहीं, और,
कभी किसीका होने देता नहीं...

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2 APR AT 22:33

तुम्हारी आहटों का तलबगार हूँ कुछ इस कदर,
याद आने से बेहतर है तुम ही आ जाओ...

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