Sandeep Das(h)   (शुक्रगुज़ार)
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Joined 22 June 2020


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Joined 22 June 2020
18 MAR AT 0:58

किसी अजनबी से मिलने निकले थे।
मिले तो अपना-सा लगा।
बैठे उसके पास,थामा उसका हाथ।
कुछ वक़्त रहे उसके पास
हमने बिताये कुछ पल साथ।
लगा अब वक़्त ठहर-सा गया है।
बस उसे देखते ही रहे।
लगा बरसों के सफ़र का मज़िल थी वो,
अपने सब्र का मंज़र थी वो,
लगा जैसे जीने की वज़ह थी वो।
बिन उसके कुछ अधूरा-सा था,
साथ उसके अब पूरा-सा था।
कुछ हलचल उसमे भी थी,
न कुछ उसने कहा,न कुछ हमने।
उस ख़ामोशी में भी सब उसने सुना।
इज़हार न हम कर पाए इकरार न उनसे हुआ,
वक़्त के सफ़र में साथ उसके
हमसफ़र ढूँढ लिया,
उसके बिन कहे हमने सब सुन लिया।
ज़िन्दगी भर के लिए हाथ उसका थाम लिया।

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14 FEB AT 16:54

आज सोचा तुझे एक बात बतला दू।
तू समझ, समझ के न समझी वो आज तुझे समझा दू।
तुझमे सब्र बहुत हैं,पर मुझे
बस तेरी फ़िक्र बहुत हैं।
तू जो चाहे वो मैं करू,पर
मैं बस तुझे चाहु।
तुझे कोई जरुरत नहीं,पर
मुझे बस तेरी जरुरत हैं।
कहते थे,प्यार बहुत है।
एक दिन का साथ दे
सालों का गम दे गए।

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31 DEC 2023 AT 16:39

गैरों मे कोई अपना ढूंढ़ने निकले हो
साथ चाहते हो किसी अपने का
पर अपनो से ही दूर निकले हो
थोड़ा आप बढ़ो, थोड़ा हम बढ़े
थाम कर हाथ, साथ हम चले।

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31 DEC 2023 AT 16:25

साथ आपके सपने है सजे
तू मेरी मज़बूरी नहीं
और न ही ज़िद्द
तू तो है बस आरजू मेरी

हाथों मे लेके हाथ चलना है
उस पार
मतलबी दुनिया से दूर अपना एक घर सजाना है

जीना है , मरने की बात ना करेंगे
ना कोई कस्मे ना वादे
बस आपके साथ चलेंगे

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18 DEC 2023 AT 0:18

मुद्दतों बाद ऐ नसीब आया
आज खुद चलकर तेरे करीब आया
तुझे सोच तेरी राह तकते थे
साथ जो बिताये पल
उसे सोच यूँ ही मुस्कुरा लेते थे
तब नहीं तो अब सही
हक़ीक़त मे ना सही
पर यादों में एक हसीं ला पाऊ
यही मन्नत है मेरी

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6 DEC 2023 AT 13:35

वो रूठ जाती तो हम मना लेते
उसकी एक हसीं के वास्ते
हम कुछ भी कर जाते
साथ उसके एक सुकून था
अब वो कुछ ऐसे रूठी है
उसकी हसीं तो दूर अब दीदार भी गवारा हैं
इस फैसले को अपनी तक़दीर मान ली है
अपने हाथों की सब लकीरों मिटा चुके हैं

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1 DEC 2023 AT 15:50

काश की इतनी मोहलत मिल जाए
की थोड़ा और सीख लू
काश की इतनी मोहलत मिल जाए
की किसी काबिल बन जाऊ
काश की इतनी मोहलत मिल जाए
की तेरा प्यार थोड़ा और बटोर लू
ऐ वतन तूने इतना कुछ है दिया
बस कुछ साँसे और मिल जाए
की तेरा कर्ज़ा उतार लू

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1 DEC 2023 AT 0:31

ऐ सच है की तुम्हे पास पाने की राह देखते थे।
पर तुम्हे पाने की कभी ख्वाहिश न थी,
क्यूंकि तुमसे प्यार करने के लिए
मुझे तुम्हारी ही ज़रूरत नहीं थी।
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तुमसे दूर रह कर भी तुम्हे महसूस कर सकता हूँ।
तुम्हारे आँखों मैं अपनी दुनिया देख सकता हूँ।
तुम्हारे लिए, कुछ पल नहीं,
पूरी ज़िन्दगी इंतज़ार कर सकता हूँ।
यही इश्क़ तुमसे हर लम्हा कर सकता हूँ।
********××××××********

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30 NOV 2023 AT 17:35

मिले थे वह एक अजनबी के जैसे
ठहर गए कोई रिश्ता हो जैसे
हौसला दिया , हिम्मत बढ़ाई
हम आप ही के हो जैसे
साथ चल दिए अब हमसफर हो जैसे

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17 NOV 2023 AT 23:22

जिया गैरों के लिए
किया अपनो के लिए
न माँगा, न छीना
अपने हक़ की ज़मीन
ऐ ज़िन्दगी तूने इतना क्यों ठुकराया
पल भर में पलट दी दुनिया
फिर भी किया हर फर्ज़ पूरा
उतारा क़र्ज़ पूरा
मुझे थोड़ा और जीना है,
अब बस खुश रहना है।


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