पूछता हूँ हर नाचीज़ से,
किसी के टूटने का दुख क्या होता है,
तब रूबरू हुए उस एहसास से,
जब मेने करी मेहनत जी जान से,
चंद पैसो से खरीदा वो जो चाहिए था कब से,
दुखी हुआ दिल जब टूटा पाया मेने उसे,
गुस्सा आ रहा था उस ज़ालिम के ऊपर,
जो तोड़ के चला गया था मेरी पसंद को,
पर दुखी था दिल देख के टूटा अपनी मेहनत को।
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