Sameer Saurabh Pokhriyal   (Sameer)
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Joined 4 April 2018


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29 MAR AT 23:36

ये चार दिन के रूठने को रूठना नहीं कहते
ना-ना.... इसे टूटना नहीं कहते !
अभी तेरी कलम घायल नहीं है
कंगन बिंदी खूब लिखा है
टूटते पायल नहीं है
लहू ज़िगर का स्याही करके
नब्ज़ निचोड़ी जाती है
हर्फ़ हर्फ़ सी करके फिर
शायरी जोड़ी जाती है
वाह वाली बात अभी शायरी में आएगी नहीं
तू नयी नस्ल का शायर है
प्रेमी पागल नहीं है

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29 JAN AT 15:45

वही दिन मुकम्मल, जो तेरे बिन गया
मिला कुछ नहीं, मैं मुझसे छिन गया

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11 JAN AT 16:41

प्रेम..... प्रेम तो मेरी समझ से परे है
जिसने पाना चाहा उसे मिला नहीं
जिसे मिला उसने कभी चाहा ही नहीं
और जिससे मिला उसे कभी नहीं मिला

एक पागल है जो गवाही दे रहा है
कि चंद चादर की सलवटों ने
रात की करवटों का हक़ छीना लिया
कैसा प्रेम जो परिस्तिथियों से हार गया
कौन सा प्रेम जो आर्थिक तंगी से हार गया
कभी परिवार तो कभी संगी से हार गया
प्रेम...... भई ये तो मेरी समझ से परे है

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6 DEC 2023 AT 23:43

प्रभात के प्रहर में ही सूर्य ढल रहा है
है आस्तीन उधड़ी पर सांप पल रहा है
ये खेल कब रुकेगा,अनवरत चल रहा है
रौशन शहर को करने, एक गाँव जल रहा है

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19 OCT 2023 AT 13:45

हर शख्स, जिसमें इश्क दायर हो गया
या तो पागल हुआ है, या शायर हो गया

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12 OCT 2023 AT 23:35

हारते- हारते भी मेरी, जीत कैसे हो गई
जेठ की दुपहरी में, ये शीत कैसे हो गई

लेखनी लिखती थी उसकी, वीर रस के गीत ही
आज जाने ग़ज़ल ये मनमीत कैसे हो गई

शुद्ध शाश्वत शांत सा, पट श्वेत को धारण किए
आयु के संसर्ग पगड़ी पीत कैसे हो गई

विवेक का स्थान ऊँचा, परंपराएं गौण हैं
जानते तो तुम भी थे फिर रीत कैसे हो गई

हारते- हारते भी मेरी, जीत कैसे हो गई
जेठ की दुपहरी में, ये शीत कैसे हो गई

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30 SEP 2023 AT 22:48

प्रेम का पनघट लेकर बैठे, अर्थ कुम्भ यदि रीता है
तो सुनो!
अर्थ प्रेम की तना-तनी में, अर्थ सदा ही जीता है

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20 SEP 2023 AT 0:25

झूठी मुस्कुराहट से बेहतर है रो देना
अधूरा मिले तो खो देना

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14 SEP 2023 AT 0:12

तू माने ना माने, पर ये बिल्कुल सच्ची बात है
तेरे इस खिलते यौवन में, मेरा भी कुछ हाथ है

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21 AUG 2023 AT 23:33

चाहे जितनी मर्जी फिर जिम्मेदारियाँ भर लो
पहले ख्वाहिशों से कह दो कि खुदकुशी कर लो

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