इक तस्वीर हुआ करती थी अब फ़क़त फ्रेम टंगा हैफ़रार हो गयीजो याद रहा करती थी चार दिवारी में -
इक तस्वीर हुआ करती थी अब फ़क़त फ्रेम टंगा हैफ़रार हो गयीजो याद रहा करती थी चार दिवारी में
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कमरे में मेरे मजमा लगा रखा है ख़ामोशियाँ इतना क्यों शोर करतीं हैं रौशनी की ज़बरदस्ती देखो रौशनदानों से घुसने की हिमाक़त पुरज़ोर कारतीं हैं -
कमरे में मेरे मजमा लगा रखा है ख़ामोशियाँ इतना क्यों शोर करतीं हैं रौशनी की ज़बरदस्ती देखो रौशनदानों से घुसने की हिमाक़त पुरज़ोर कारतीं हैं
नब्ज़, धड़कन-ओ-साँस जाने क्या-क्या चले हैठहर कर ख़ुद को सुनु हूँ तो पता चले हैंतेरी एक आहट सी आयी थी मेरे कानों तकऔर सारा ज़माना कहे है कि हवा चले है -
नब्ज़, धड़कन-ओ-साँस जाने क्या-क्या चले हैठहर कर ख़ुद को सुनु हूँ तो पता चले हैंतेरी एक आहट सी आयी थी मेरे कानों तकऔर सारा ज़माना कहे है कि हवा चले है
तुम्हारा जाना मुझ पे जाने क्या असर कर गयामैं तो स्टेशन पर ही हूँ, बदले में जाने कौन घर गया -
तुम्हारा जाना मुझ पे जाने क्या असर कर गयामैं तो स्टेशन पर ही हूँ, बदले में जाने कौन घर गया
खड़ा था मैं संग तुम्हारे पर नहीं था मेरी आँखों के सामनेसागर तो मेरी बगल में था -
खड़ा था मैं संग तुम्हारे पर नहीं था मेरी आँखों के सामनेसागर तो मेरी बगल में था
एक उम्र दराज़ शायर हैनज़्में इसकी अबतक जवां हैंये अपने बालों में खिज़ाब नहीं लगातामगर स्याही अब भी काली स्तेमाल करता है -
एक उम्र दराज़ शायर हैनज़्में इसकी अबतक जवां हैंये अपने बालों में खिज़ाब नहीं लगातामगर स्याही अब भी काली स्तेमाल करता है
नख से शिख,फ़र्श से अर्श,ओर से छोर, औरआदि से अन्तके बीच जो सीमित दूरी है, इसके विपरीतएक अनंत अंतराल हैहम उसे अपने प्रेम कामात्रक मानेंगे -
नख से शिख,फ़र्श से अर्श,ओर से छोर, औरआदि से अन्तके बीच जो सीमित दूरी है, इसके विपरीतएक अनंत अंतराल हैहम उसे अपने प्रेम कामात्रक मानेंगे
एक तो बिजली और काले मेघों की नोंक-झोंकउस पर सावन की अनवरत बरखा तिस पर मुझ अकेले का,हम दोनों के हिस्से का भीग जानायही वह क्षण है जब मैं तुम्हारे विरह का जीवन छन्द गुनगुनाता हूँ -
एक तो बिजली और काले मेघों की नोंक-झोंकउस पर सावन की अनवरत बरखा तिस पर मुझ अकेले का,हम दोनों के हिस्से का भीग जानायही वह क्षण है जब मैं तुम्हारे विरह का जीवन छन्द गुनगुनाता हूँ
रोज़ाना लाखों जद्दोज़हद थी मेरे आगेमगर एक ज़िन्दगी भी थी मेरे हाथों में -
रोज़ाना लाखों जद्दोज़हद थी मेरे आगेमगर एक ज़िन्दगी भी थी मेरे हाथों में