सब्र रखने से ज्यादा बेसब्रियां अच्छा था समझदारी से ज्यादा बेबकुफियां अच्छा था किस को रहना था होश में मोद होशियां अच्छा था इश्क जो तुमसे किया तुम हो मेरे पुरा का पूरा ये ख़ुशफ़हमी अच्छा था
पुष्प की बरसात में खुशबू तू है लड्डू की बरसात में मीठास तू है लठ की आवाज़ में तू है हरा नीला पिला रंगो में तू है तेरे होने से ही में हू तेरे मेरे मिलन से ही तो होली है रंग वरसाओ भांग पिलाओ बूरा ना मानो होली है
प्रेम को कभी दिखाया या जताया नहीं जा सकता वो तो सिर्फ दिल में छुपी रहती है बादलों में छुपे हुए नमी की तरह और जब दिल भारी हो जाता है तो वो अक्सर टपक जाते हैं बिन मौसम बारिश की तरह...
एक अरसे से अजनबी है हम जुबान पर सिर्फ उनका नाम ......पर खामोश हैं हम घुल जाते हैं मोहब्बत में तो महकते हैं इत्र सा... पर जानते हैं फुल पलाश के हैं हम.... उठती है लहर जज्बातों की मिलन को तरसता है मन पर एक अरसे से अजनबी है हम....