वो दूर सही,
उन्हें अपनी शायरी में कैद करती हूं...
वो पूछते है, में उन्हें याद नही करती???
हर रात कागज के दो पने, फिर किसके लिए हूं भर्ती...
कभी जिक्र नही करते की "में" कितनी सुंदर हूं,
पर उनके आंखों में, "में" खुदको सबसे हसीन पाती हूं...
वेसे तो मेरा रूठना पसंद नही उन्हें,
पर छोटी छोटी बातों में, "गुस्सा हो क्या???"
पुछके हसाना आता है उन्हें......
चांद सितारें लेके बड़ी बड़ी बातें वो नही करते,
जमीन पे पेर रखके,
जिंदगी से वाकिफ वो मुझे कराते...
अनबन नही होगी कभी ऐसा वो नही कहते,
पर कुछ भी हो,
ज़िंदगी के उस राहों में, मुसाफिर में अकेली नही होंगी,
ऐसा यकीन वो दिलाते......
अछासा लगता, जब मेरे दूर जाने से दिल उनका है घबराता,
और उनका दिल उनसे बस मेरे ही बात है करता,
और मुझे उनसे, थोड़ा और प्यार हो जाता.....
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