ना जाने वक़्त का कैसा
हसीं सितम हुआ है हम पर
जिस खता की थी दुआ हमने बरसो पहले....
वही खता हम इन दिनों बार-बार करते है
पता है हमेशा कि मौजूद नहीं है हमारे पास
पर फिर भी ना जाने क्यों
हर पहर, हर जगह, हर कोने में
ये दिल आपकी तलाश बार-बार करता है
कभी झूठ बोला तो कभी मुँह मोड़ा आपसे
आज तक छुपाया है ये सच
हर लम्हा आपसे कि..
हम आपसे प्यार बेइंतहा प्यार करते है।
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