क्या तुम थोड़ी देर और नही रुक सकते हो?
उसने दबी सी आवाज में कहा।
उसके इस सवाल का जवाब मैं देना तो चाहती हूं पर
मैने आंखें झुका ली।
कितना अजीब है न जब हम चाहते हैं कि घड़ी की सुई धीमी हो जाए , वक्त भागे ना।
थोड़ी देर हम और बात कर लें, उसके चेहरे को आँखों में समेट कर भर लूं ।
उसके होने के महसूस को जैसे अपने अंदर पूरी तरह बसा लें। पर ये कमबख्त समय इश्क की बेबसी नही समझता।
ये नही समझता समय के साथ ये सारे एहसास धुंधले पड़ जाते हैं ❤️
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