Sakshi Sahani❤️   (Sakshi Sahani..)
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Joined 7 June 2020


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Joined 7 June 2020
12 DEC 2022 AT 11:57

किसी शायर की शायरी सी है वो
किसी बांसुरी की गीत सी है वो
किसी रोज देखे ख्वाब सी है वो
हर रोज करूं उस अरदास सी है वो

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25 OCT 2022 AT 18:41

One morning I woke up with a dream of 'You' the dream which broke last night in that dark sky.....

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11 JUN 2022 AT 3:46

कुछ साल पहले एक दोस्ती शुरू हुई थी उसकी और मेरी जो अभी भी बरकरार है
रिश्तों में फर्क इतना है की अब उसे मुझसे प्यार है
बातें हमारी घंटो की, की हर पल में टकरार है
बेवकूफ है वो दोस्त जिसे मुझसे अब तक प्यार है
मैं उस से कई दूर हूं पर वो शायद बहौत करीब है
उसका मुझसे यूं रूठ जाना ये बहौत अजीब है
नाराज़गी मेरी आदत थी उसने अब अपना ली
कितने दिनों तक रूठेगा मुझसे मैंने अपने हिस्से की दोस्ती निभा ली
मेरी बातें उसे पसंद है मेरी मुस्कुराहट उसकी जान है
इस खूबसूरत दोस्ती को निभा रही हूं मैं पर वो फिर भी अंजान है
वो हंसता है मेरे साथ यही उसकी पहचान है
रूठना तो उसका गुस्सा है ना जाने क्यों वो सच से अंजान है

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9 JUN 2022 AT 19:25

की जिस भीड़ में तुम ढूंढ रहे हो मुझे
उस से मैं कई दूर हूं
ये बेवफ़ाई शब्द तो सिर्फ रिवायत है
मैं तो सिर्फ अपने हालातों से मजबूर हूं
की मेरी ख़ामोशी को तुम झूठ ना समझना
अपनी बातों से ही तो मशहूर हूं
मेरी खूबियां और कमियां तुम क्या बताओगे
मैं खुद ही सच के आईने से दूर हूं...

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8 JUN 2022 AT 23:00

The silence of music is unbearable but it bears all the pain...

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6 JUN 2022 AT 5:32

खुशकिस्मती से इस ज़माने को हम बताते नहीं
किसी जाने वाले को हम वापस बुलाते नहीं
कोई कह दो इन्हें जो ये हम पे सितम ढाते हैं
हम अपनो को यूं रुलाते नहीं
जो कहते हैं हम उसकी खामोशी से नही डरते
वो हमें बात करने को बताते नहीं
बेशक हमने मुस्कुराना छोड़ दिया
पर अब ये आंसु भी हमें रुलाते नहीं

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5 JUN 2022 AT 19:46

तुम मेरी तस्वीर कब तक देखोगे
कभी तो कुछ बातें भी करो
कब तक जीयोगे उन यादों में
कभी खुद से मुलाकातें भी करो
मुझे तो खुद से बहोत दूर कर दिया तुमने
पर उन यादों का क्या करोगे
भले ही इन होठों से नफ़रत दिखती हो
पर उन बेहिसाब बातों का क्या करोगे

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4 JUN 2022 AT 23:48

सालों पहले रखा था एक गुलाब उस किताब में
आज भी उसकी खुशबू बरकरार है
थोड़ा मुरझा सा गया है वो फूल
पर अब तक नया वो इकरार है

छाप छोड़ दी उस गुलाब ने एक पन्ने पर
पर उसके पीछे बातें हजार हैं
मुझे याद है वो पूरी किताब
क्योंकि अब सजता एक नया दरबार है...

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4 JUN 2022 AT 23:36

की जिस धूप की छांव में मैने था वो खाब देखा..
उसकी ही रोशनी से वो बीज लगा है..
पेड़ बनने में तो काफी समय लगेगा उसे
पर हर एक पत्ती ने कुछ सच कहा है
बातें हर डाली की एक नई तस्वीर है
माना खूबसूरत नही वो फूल पर उसकी यही तकदीर है
आईने सी बनके उसे उसकी छवि दिखती हूं
उसे हर बार उस पेड़ सा नहीं वही छोटा बीज पाती हूं..

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4 JUN 2022 AT 22:24

ऊंचा उड़ ना पाए तो क्या सपने देखना छोड़ दें
पूरे ना हो ये सपने तो क्या अपनी उम्मीदें तोड़ दें
इतने बुलंद तो हौसले हमारे भी हैं
की टूटे कांच का हर कटरा जोड़ दें

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