है नमन भारती मां तुमको ,तुमको शत-शत वंदन प्रणाम।।
था संस्कृतियों का उदय जहां ,जो विश्व गुरु कहलाती थी ,
था घना अंधेरा छाया ,मां बेड़ी में खुद को पाती थी ।
लेकिन मां की पुण्य गोदी ने ,ऐसे लालों को जन्मा था ,
नव जागृति का वाहक बन कर ,क्रांति को जिन्होंने सिरजा था ।
आजाद भगत पांडे बिस्मिल ,थे डरे नहीं ललकारों से ,
उनने मां के अर्चन हेतु ,आरती उतारी प्राणों से ।
लक्ष्मी अवंती-सी बिटियों ने ,निज मस्तक नहीं झुकाया था ,
मां की अस्मत रक्षा हेतु ,मृत्यु को गले लगाया था ।
गांधी ने जन नायक बनकर ,एक सूत्र सभी को बांधा था ,
सविनय अवज्ञा , असहयोग ,भारत छोड़ो ने अंग्रेजों को दहलाया था ।
था हुआ विवश ब्रिटिश ताज ,आया स्वर्णिम नूतन विहान ,
आजादी का सूरज चमका ,लहराया मां का आंचल महान ।
है नमन भारती मां तुमको ,तुमको शत-शत वंदन प्रणाम।।
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