Sakshi Rai  
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हूं वही प्रतिबिंब जो आधार के उर में
Joined 21 April 2018


हूं वही प्रतिबिंब जो आधार के उर में
Joined 21 April 2018
25 JAN 2022 AT 19:29

है नमन भारती मां तुमको ,तुमको शत-शत वंदन प्रणाम।।

था संस्कृतियों का उदय जहां ,जो विश्व गुरु कहलाती थी ,
था घना अंधेरा छाया ,मां बेड़ी में खुद को पाती थी ।

लेकिन मां की पुण्य गोदी ने ,ऐसे लालों को जन्मा था ,
नव जागृति का वाहक बन कर ,क्रांति को जिन्होंने सिरजा था ।

आजाद भगत पांडे बिस्मिल ,थे डरे नहीं ललकारों से ,
उनने मां के अर्चन हेतु ,आरती उतारी प्राणों से ।

लक्ष्मी अवंती-सी बिटियों ने ,निज मस्तक नहीं झुकाया था ,
मां की अस्मत रक्षा हेतु ,मृत्यु को गले लगाया था ।

गांधी ने जन नायक बनकर ,एक सूत्र सभी को बांधा था ,
सविनय अवज्ञा , असहयोग ,भारत छोड़ो ने अंग्रेजों को दहलाया था ।

था हुआ विवश ब्रिटिश ताज ,आया स्वर्णिम नूतन विहान ,
आजादी का सूरज चमका ,लहराया मां का आंचल महान ।

है नमन भारती मां तुमको ,तुमको शत-शत वंदन प्रणाम।।


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29 OCT 2020 AT 7:08

हर पल जिसका साथ रहा
हाथों में जिसका हाथ रहा
हर गलती पर जिस ने डांटा
छोटे से काम को भी जिसने सराहा
क्लास की पहली बेंच पर
संग बैठ कर जो पढ़ाती थी
मेरे लिए अपना असाइनमेंट
पहले जो बनाती थी
जिससे बेहतर जिससे अच्छा
मुझे न किसी ने जाना है
दुनिया के हर रिश्ते से बढ़कर
उसका मेरा ये याराना है
ईश्वर का दिया हुआ
हसीन सा उपहार है
सौम्य है सरल है
निर्मल रसधार है
लगन और अनुशासन की है पर्याय
हम सभी हैं इसके साक्षी
सबसे अलग सबसे जुदा
वो है साक्षी की प्यारी प्राक्षी❤️❤️

तुम्हारी इस प्यारी सी सहेली की तरफ से जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 😍😍






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12 OCT 2020 AT 16:01

अपने ही कदमों से कदम मिलाना है ,
तुझे अपना सहारा खुद ही बन जाना है ।

होगा ना कोई खैरियत पूछने तेरी ,
तुझे अपनी खैरियत खुद को ही बतलाना है ।

बवंडर तो उठेंगे ही आंधियां तो झकझोरेंगी ही ,
डिग जाए जो कदम तेरे तो खुद ही संभल जाना है ।

कभी परिस्थितियां भी चुनौती बन जाएंगी तेरी ,
उबर जाने का हुनर खुद को खुद सिखाना है ।

जिंदगी है , अक्सर मन मुताबिक चीजें ना होंगी ,
दिल को छोटे बच्चे सा खुद को ही समझाना है ।

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27 SEP 2020 AT 9:57

एक पौधा रोपा गया
सींचा गया प्यार से
मिट्टी खाद पानी मिला
मिली छांव भरपूर
पा विकास फूला फला
फैला बांह लहलहाया खूब
था सुकोमल , कठोरता से अनजान
पड़े जब अंध पानी धूप
लड़ा कुछ , मुरझाया औ' झड़ गया
मिट्टी से झांकती थी चूप
थे अभी अर्जित सभी गुण
थी अजब सी मुस्कुराहट
फिर खड़ा हो जाने की
दे रहा जैसे हो आहट

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15 AUG 2020 AT 12:57

हे वीरप्रसविनी भारत मां !दे दो,दे दो वरदान हमें,
प्राणों में नवअंकुर फूटे , सृष्टि का नवल वितान रचें।

मानव , मानव का बंधु रहे
आतंकी सम न नाम रहे ,
खुशहाल चतुर्दिक हो जाए
शांतिप्रिय नवल समाज रहे ।
दे दो , दे दो वरदान हमें ...

मानवता न फिर धूमिल हो
सब सर्वोत्तम पथगामी हों ,
बेटियां सुरक्षित हो जाए
ऐसा ये हिन्दुस्तान रहे ।
दे दो , दे दो वरदान हमें ...

नारी दुर्गा सम शक्ति हो
अबला न कोई नारी हो ,
सब भांति स्व आश्रित हो जाए
उस ममता का सम्मान रहे ।
दे दो , दे दो वरदान हमें ...

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14 AUG 2020 AT 21:54

अधिकार नहीं हमको यह कि
बतलाए हम खुद को स्वतंत्र ,
गर बतलाया खुद को स्वतंत्र
कहलायेंगे मिथ्याभाषी ,
हम भारतवासी , भारतवासी
भारतवासी , भारतवासी।

कोई मानुष तन जब,दो सूखी रोटी बिन मरता हो,
जब कुर्सी पर बैठा नौकर,काली घूंसों से पलता हो,
मजहब के नामों पर जब,मानव मानव से लड़ता हो,
तज पीयूष प्याल मानवता का,नर उदर गरल से भरता हो।
इस जड़ता तम को दूर करो,
हो शाश्वत समृद्धि विजया सी।
हो हर्षित बोलेंगे हैं स्वतंत्र,
हम भारतवासी,भारतवासी,
भारतवासी,भारतवासी।

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14 AUG 2020 AT 21:03

अधिकार नहीं हमको यह कि
बतलाए हम खुद को स्वतंत्र ,
गर बतलाया खुद को स्वतंत्र
कहलायेंगे मिथ्याभाषी ,
हम भारतवासी , भारतवासी
भारतवासी , भारतवासी ।

जिन हाथों सजनी थी किताब,उन हाथों मेंहदी साजी हो
जब कोई निस्सहाय प्रतिभा,घुट पर्दे में अकुलाती हो,
वो बेफिक्री नादानी जब,हर गली दबोची जाती हो,
गर कोई बेकसूर क्षिति पर,जीवन भी न ले पाती हो,
बंधन तोड़ो इन मलिन प्रथाओं के,
मुक्ति यथार्थ हो अविनाशी।
तब गूंजेगी चहुंओर जयध्वनि,
जय भारतवासी,भारतवासी,
भारतवासी,भारतवासी।

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12 AUG 2020 AT 2:32

योगी बड़ा कर्मयोगी बड़ा , चातुर्य महारत पा गया कान्हा।
सुत हो भ्राता सखा हो या प्रेमी , सच्चे सभी धर्म निभा गया कान्हा।
प्रतिकूलों को भी अनुकूल बना , निज जय को सुनिश्चित करता गया वो।
छलिया बना पर छलना नहीं , सत जीवन जीना सिखा गया कान्हा।

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10 AUG 2020 AT 20:00

गुफ्तगू पहले की सी आज भी जारी है,
यारों! तभी तो इसका नाम यारी है।
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5 AUG 2020 AT 16:13

राजा राम आए हैं,
अवध सियाराम आए हैं।

प्रज्ज्वलित मन दीप कर लो तुम
अन्तः उर प्रकाशित हो,
माल्य भ्रातत्व से सुरभित
हमारे दिग् दिगन्तर हों,
समरसता की द्वारे पर , पुनः रंगोली डालो तुम।
राजा राम आए हैं , अवध सियाराम आए हैं।

पग प्रक्षालन सत्यता से
कर्म नेवैघ बन जाए,
कर्तव्य से हो आरती
दृढ़ता ध्यान बन जाए,
कर अनूठी साधना , रामराज्य की संकल्पना साकार कर दो तुम।
राजा राम आए हैं , अवध सियाराम आए हैं।

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