लोग इतने करीब आते ही क्यों हैं.. कि तुम ही मेरी जान हो ऐसा जताते ही क्यों है.. झूठा प्यार करके उसपे यकीन दिलवाते ही क्यों हैं.. जब जाना ही रहता है तो मुँह मारने आते ही क्यों हैं..
कोई इन बारिश की बूंदो से तो पूछो.. की ज़मीन को छूने के लिए.. कितना तरसती हैं.. और इस जमीन की मिट्टी से तो पूछो.. की कैसे कुछ बूंदे पड़ने पर ही.. ये खिलखिला जाती हैं..