रखवाला बंजारा
शिक्षा के बड़े पुराने मंदिर में मिला था,
शिक्षक नहीं, काम उनका रखवाली था,
बाल, दाढ़ी, और मूंछ सब सफेद थे,
अतरंगी, पर भौंहें ही उनकी काली थी ।।१।।
दो बेटों और स्वर्गवासी पत्नी की कहानी सुनाई,
भैंसों से स्नेह और घर में कंगाली थी,
मॉं पर अच्छी कविताएं सुनाईं बहुत,
जब कानों में पड़ी राहगीर की गाली थी ।।२।।
लिखना सब कुछ चाहता था मगर,
पेन जो मांगा, जेब उनकी खाली थी,
कविताओं के लोभ में 'सच',
उनकों ढूंढ़ा बहुत... वर्षों तलक,
पर घर-परिवार की कहानी सब जाली थी ।।३।।
ध्यान किया एक रोज, रखवाली बस ढोंग था,
बंजारा था वह अद्भुत...
झोले में उनके एक थाली और प्याली थी,
बैंच पर बैठा मुझको ...
कुछ पल में जिंदगी सिखा गया,
औरों से हटके, आत्मा वो निराली थी । ।४।।
-