कर के गुनाहों से हिजरत मै फला पाऊ,
गुनहगार दिल को नेकियों से जला पाऊ,
सजदे में सर होंटो पे दुवाओं की तस्बीह,
वो कून कह दे मै इबादत का सिला पाऊ,
दे ईमान की ताक़त जज़्बा ए गाजी मुझे,
फिर मै दीवार कैसर ओ कसरा हिला पाऊ,
फतह करू अज़ीम जंगे तबूक उहद खंदक,
ईमान की दौलत से अक्सा का किला पाऊ,
मुझे कर दे खालिक इतना बहादुर के मै,
अज़ीम सहाबा से उम्मत को मिला पाऊ,
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