सांझशैलेश   (सांझशैलेश)
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Joined 6 May 2018


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Joined 6 May 2018

कहो-
क्या मुसलसल है ये?
तुम्हारा मैं और मेरा तू हो जाना।
गर है तो रजा है कि हों ऐसा,
ताकि मैं तू होकर जान सकूं मजबूरियां सारी,
और तब शायद तुम मैं बनकर समझ पाओ तकलिफे मेरी,
जो बस तेरे एक न होने पर जन्म लेती है और खाक होती है तो बस तेरे वजूद से।
ताकि फिर मुझे तुमको और तुम्हें मुझको कोई तर्क न देने पड़े,
यकीनन तब ये दूरी बस लफ़्ज़ों में ही होगी।
क्योंकि तब -
मै - तुम और तुम - मैं बनकर,
रूहों में सच में समा चुके होंगे।

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अंधेरा है, अंधेरा रहने दो,
ये मुझे मुझसा लगता है।

आईने में जो दिखता है अक्स,
अब वो अजनबी सा लगता है।

मुद्दत हुई, खुद को छोड़ आया हूं,
जहां तेरी-मेरी यादों का मेला सा लगता है।

कि खुद से भी नहीं मिलता अब चेहरा मेरा,
लोग कहते हैं ये कुछ कुछ तुझ सा लगता हूं।

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21 JUN 2023 AT 22:25

इस जहां से जुदा,
एक जहां और भी है, मेरी कल्पनाओं का जहां,
जहां तुम्हे बाहों में समेटे मैं लिखता हूं,
और तुम उसी आत्मीयता से सुनती हो मुझे।
बस वही मेरा एक तरफा प्रेम, पूर्ण होता है।

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9 FEB 2023 AT 23:55

इंतजार, फिर तुम से प्यार 'सांझ'
मेरा तुम से इजहार,
तुम्हारा पहले न फिर इकरार,
कभी कभी हमारी तकरार,
सबकी रजामंदी,
तुम्हारी मुझ पर पाबंदी,
कभी नाराजगी कभी हदबंदी,
....

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4 DEC 2022 AT 19:04

Dear sister (Rashmi)

There are tons of things that
I should have told you ( before your marriage)Now, I don't only realise
what you are but also I'm
exhausted in words to express myself (that's why I'm writing this ).

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26 OCT 2022 AT 19:00

मैं खुद से
और हर्फ मुझसे,
रूठे है अब
कहो संवाद हो तो कैसे हो?
कोई करें मध्यस्थता पर
बिन हर्फ मध्यस्थ से बात हो तो कैसे हो?

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15 SEP 2022 AT 1:55

उसने अपने खालीपन से,
किताबें भर दी 'सांझ'
और लोग कहते है कि,
तुम कमाल लिखते हों।

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9 SEP 2022 AT 21:35

जब होता है; मौका, समय या व्यक्ति;
तब नहीं फक्र करते हैं।
खो देते हैं इन्हें,
तब ही क्यों कद्र करते हैं।
है फितरत आदमी कि ये,
या आदमी होने का गुण ये?

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26 AUG 2022 AT 10:34

We lost, we build MUSEUMS,
We put in endangered, we started PRESERVING CAMPAIGNS,
We observed degradation,
We proposed PROGRAM OR COURSE

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29 JUN 2022 AT 15:51

बहती हवा का वेग,
जब अधखुली खिड़की से होता हुआ,
जब शोर उत्पन करता है।
तो मानो ऐसा लगता है जैसे,
एक मौन अधर मनुष्य,
पथ पर आई रुकावट से टकराकर
चीख रहा हो......

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