Ruma Kumari  
61 Followers · 17 Following

Joined 30 August 2019


Joined 30 August 2019
14 SEP 2023 AT 22:54

*मौन वेदना*

मैं अपना समझ कर तुझसे,
बोल गई दिल की सारी बात।
समझकर तूने गैर जरूरी,
रख दिया केवल सांत्वना का हाथ‌।
मैं नादान समझती रही
की,जो जैसा देगा,
बदले में वैसा ही पाएगा।
मुझे क्या खबर थी जनाब?
कि मुझे जैसे अभागे को,
सौभाग्य कहां मिल पाएगा।।
जब नि:स्वार्थ प्रेम और अपनेपन का,
बड़ा अच्छा सबब अब तक पाया है।
पर बार-बार ठोके खाकर भी,
तुझे अब तक समझ ही नहीं आया है।।
वक्त अब भी टला नहीं है।
जरूरत से ज्यादा कोई भला नहीं है।
अपने को मजबूत बनाकर,
खुद का तुम विश्वास बढ़ाओ।
करो भरोसा सबका किंतु,
प्राथमिकता बस स्वयं को दे जाओ।

-


25 FEB 2023 AT 9:13

*अतुलनीय पिता*
पापा क्यों गए तुम छोड़ के,
हमसे मुंह यूं मोड़ के।
याद तुम्हारी आती है,
आंखें नम हो जाती है।
मिला जो प्यार, सबसे प्रिय है।
किया जो, वह अतुलनीय है।
सहे तुमने बहुत से दुख हैं,
हमें दिया केवल सुख है।
हैसियत से बढ़कर किया है तुमने,
हर ज़िद्द को हमारी सहा है तुमने।
क्या-क्या परेशानियां नहीं उठाई हैं,
बहुत-सी ठोकरें खाईं है।
मिला न कभी जीवन में सुख,
न चंद लम्हें ऐशो-आराम में बिताई हैं।।
एक कसक रह-रहकर उठती,
तुम्हारे लिए, तुम्हारी यह बेटी कुछ भी कर न पाईं है।।
*आपकी रूमू*

-


19 SEP 2022 AT 21:54


...रिश्तों की पहचान...

ऐसा न हो की रिश्ते बोझ बन जाये
हम काम निकालने वाले
मौकापरस्त इंसान कहलाएं
रिश्ते एहसानों के तले दब जाए
रिश्तों में अपनापन का एहसास खत्म हो जाए
रिश्ते बस काम से याद आए
रिश्तेदार मतलब से घर आए
ऐसा न हो कि
इतने समय के बाद जुड़े हुए रिश्तों में
ऐसी कड़वाहट आए
ऐसा न हो की रिश्ते मतलबी कहलाएं

-


19 SEP 2022 AT 21:39

पिता वो शख्शियत है जिसके तुल्य दुनिया में कोई नहीं अपने पापा के लिए कुछ पंक्तियां भूतपूर्व स्मृतियों को याद करते हुए...

पूरी रचना केप्शन में पढ़े:-


-


16 DEC 2021 AT 22:49

जिम्मेदार बेटा

आसां नहीं होता घर का जिम्मेदार बेटा बन पाना।
आसां नहीं होता परिवार का बोझ अपने कंधों पर उठना।
आसां नहीं होता छोटी उम्र में ही बड़ा बन जाना।
आसां नहीं होता है..... बड़ा मुश्किल होता है.....
बड़ा मुश्किल होता है अपने सपनों का गला घोट पाना।
बड़ा मुश्किल होता है घर-परिवार की खातिर खुद को भूल जाना।
बड़ा मुश्किल होता है खुद से खुद की पहचान बनना।
बड़ा मुश्किल होता है........
अपनी जरूरतों से पहले भाई-बहनों की खुशियों का ख्याल आना।
घर-बार की चिंता में अपना सर्वस्व लुटाना।
अपनी कष्टों और तकलीफों को खुद में ही सीमित रखा पाना।
दु:ख-दर्द को सहकर भी होंठों पर मुस्कान लाना।
आसां नहीं है, बड़ा मुश्किल है घर का जिम्मेदार बेटा बन पाना।।

-


22 NOV 2021 AT 21:34

किसलिए कमजोर पड़ जाते हैं हम?
अपनी कमजोरियों से क्यों नहीं लड़ पाते हैं हम?

सुबह की मीठी नींद के लिए अलसा जाते हैं हम!
क्षणभर के आनंद के लिए लाखों रुपए बहाते हैं हम!

अपनी मुसीबतों से क्यों जुझ नहीं पाते हैं हम?
क्यों अपनी बुराईयों को हर वक्त छुपाते हैं हम?

अन्याय और अपराध को देख क्यों मौन हो जाते हैं हम?
अपने हक के लिए क्यों आवाज़ नहीं उठाते हैं हम?

क्यों अपनी गलतियों में सुधार नहीं ला पाते हैं हम?
किसलिए इतने कमजोर पड़ जाते हैं हम?



-


5 SEP 2021 AT 14:08

*गुरू ज्ञान*

गुरू है ज्ञान का भंडार।
गुरू करावे भावसागर पार।।

गुरू बिन होइ न उद्धार।
गुरू से ही होत जीवन साकार।।

गुरू करावे ज्ञान की ज्योती प्रदीप्त।
गुरू से ही होवे जीवन दीप्त।।

गुरू की महिमा अपरम्पार।
गुरू बनावे जड़बुद्धि को होशियार।।

गुरू के ज्ञान से मिटत अज्ञान।
गुरु से मिली शिक्षा जो लेत परीक्षा।।

गुरु की महिमा ईश्वर भी जाने।
जाको कबीर सबसे ऊँचौ माने।।

~ रूमा कुमारी~


-


15 AUG 2021 AT 16:12

आज़ादी....

जी रहें है जिस स्वतंत्रता में हम...
वो लाखों की कुर्बानी है।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के
प्रयासों की निशानी है।

हर जुल्म को सहकर जिसने,
मातृभूमि की लाज बचाई है...
पराधीनता से मुक्ति हेतु,
मुस्कुराते हुए गोलियां खाई है...

जो मर कर भी न मरे कभी।
जो विपत्ति से न डरे कभी।
एक अदम्य साहस था जिनमें,
वो भारत-भूमि में थे जन्में।

वे देशभक्त वीर बलिदानी!
जिन्होंने कभी हार नहीं मानी,
है अथक परिश्रम का फल उनका,
जो नहीं जी रहें हम परवशता।

अनेक संघर्षों का परिणाम है यह...
देशभक्तों का इनाम है यह...
दो सो वर्षों की गुलामी को सहकर,
निज बंधु-बांधवों को खोया है हमने।
तब जाकर आज यह,
स्वतंत्रता का शुभ अवसर पाया है हमनें।

🇮🇳रूमा कुमारी🇮🇳

-


11 JUN 2021 AT 7:49

🍁मेरी दादी🍁

कितना जरूरी होता है बड़ो का साया।
ये महसूस तब किया, जब-जब तुम्हें नज़दीक पाया।।

नानी का हाथ कभी सिर पर न आया।
लेकिन, दादी तुमने बेसूमार प्यार लुटाया।।

हर पोते-पोतियों के लिए तुम्हें रोता पाया।
हर मुसीबत में तुमने घर की ढाल बनकर दिखाया।।

जब आई तुम्हारे बच्चों पर मुसीबत, तो तुम्हें टूटते भी देखा।
कैसे छुप-छुप के रोते हैं, ये भी तुम्ही से सीखा।।

तुमसे सुनी कहानियाँ आज भी याद है मुझे।
तुम्हारे जैसे प्यार की आज भी तलाश है मुझे।।

♥️MISS YOU DADI♥️
@RUMA KUMARI

-


4 MAY 2021 AT 19:37

मेरी बहना

बहना मेरी थी मेरे लिए बहुत ही खास।
रहती थी हमेशा परछाई सा-पास।।

लड़ती भी थी झगड़ती भी थी।
पर प्यार भी माँ सा करती थी।।

गुस्सा मुझसे चाहे कितना भी होती।
मेरी एक चीख पर दौड़ी आती।।

जब भी होता झगड़ा दोनों में,
हमेशा आकर वो कहती थी 'सॉरी'।
फिर भी बनकर मैं अड़ियल,
रहती थी 'ईगो' से भरी।।

आज हो रहा है अहसास।
कितना जरूरी है उसका साथ।।
बिन उसके नहीं लगता मन है।
जीवन में एक सूनापन है।।

रुमा कुमारी😢😭


-


Fetching Ruma Kumari Quotes