है जो बदस्तूर दुनियां में वो बस तेरी आँखें है हमनें जो कुछ भी लिखा वो बस तेरी आँखें है चराग़ जलते रहे और हम उन्हें देखते रहे रात की जो बातें हैं वो बस तेरी आँखें हैं
ये रुतबा ,ये रौशनी और दिखावे की बातें अंधेरे में बदलती मुखौटों की बातें मैं क्या हूँ या नही भी इसकी भी बातें शोर में होती सन्नाटों की बातें नासूर से ज़ख्म में दर्द की बातें मेरे सांस की हवाओं में बातें ख़ाब में बहती दरिया की बातें उसमें, गोते लगाते ज़िन्दगी की बातें तुम्हारी और मेरी चांद रातों की बातें मुझे पूरी करनी जो ये सब हैं बातें
मैंने देखा है "रात" को निगरानी तुम्हारी करते हुए देखा है मैंने "शाम" को श्रृंगार तुम्हारा करते हुए तुम हो जो खूबसूरत या प्रकृति की मूरत हो मैंने देखा है "भोर" में तुमको दीपक सा जलते हुए