मेरे भीतर मै ,मुझमें भी कितना मै,
लाख बंधनों में बंधा लापता सा मै !!
जो कर रहा ना उसके होश में,
जो करना है वही सोंच में ,
खुदमे ही खोया हुआ क्या पता सा मै!
लाख बंधनों में बंधा लापता सा मै !!
हर चाह को टाले हुए,
हर स्वप्न को पाले हुए,
वजुद की इस दौड़ में भागता सा मै!
लाख बंधनों में बंधा लापता सा मै !!
जो भाँप ले ना वो साथ है,
जो साथ है बस एक बात है,
भीतर की गहराई को खुद नापता सा मै!
खुदमे ही खोया हुआ क्या पता सा मै!
लाख बंधनों में बंधा लापता सा मै!!
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