रश्मि वैष्णव  
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जब भी हाथ में कलम आती है, मेरे जज्बात खुद-ब-खुद कागज़ पर उतर आते है
Joined 12 February 2018


जब भी हाथ में कलम आती है, मेरे जज्बात खुद-ब-खुद कागज़ पर उतर आते है
Joined 12 February 2018

जिम्मेदारियों का बोझ था,
इसलिए समझदारियां ज़रूरत से ज्यादा थी..

नादानियां करना ही भूल गए,
क्यूंकि ज़िंदगी में दुश्वारियां ज़रूरत से ज्यादा थी!
#रश्मि

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खामोशियों में अगर
तूफ़ान कभी उठने लगे..
कसम से,
दुनियां का सारा शोरगुल
उन खामोशियों को सुनने लगे..!
#रश्मि

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International
workers' day








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आत्मविश्वास हमसफ़र है,
सवेरा जल्दी ही होगा देखना
मेरे ख़्वाबों की नई डगर है।
#रश्मि

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करते - करते
जाने कब सुबह हुई,
मैं खुद से ही खुद में
गुम होती चली गई,
कितनी ही रातें
विचारों में गुजार दी,
हर सुबह मेरी
जिम्मेदारियों में बीत गई,
हर बार रात का इंतजार
मैं करती चली गई,
क्यूंकि सुबह से शाम मेरी
बस यूं ही बीत गई...
एक रात ही थी हमेशा जो
मुझे मेरे लिए चुनती गई..।
#रश्मि

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ज़िंदगी बस एक फ़साना है,
चलते रहो इस सफ़र पर
सुख दुःख तो आना जाना हैं।
#रश्मि

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तुमसे दूरी हम अधूरे,
कुछ ख़्वाब हुए पूरे
और कुछ रह गए फिर
पलकों पर ठहरे ठहरे।
#रश्मि

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समझने की ज़रुरत है,
सादगी और सच्चा दिल
असल प्रेम की सूरत है ।
#रश्मि

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तुम हो जहां मैं वहाॅं
तुमसे ज़िंदगी मेरी
तुम ही दिलों - जां,
तुम हो तो सांसे है
तुम में ही बसी जां।
#रश्मि

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मन में राम, तन में राम, तुझमें राम, मुझमें राम
सांसों की सरगम में राम, सृष्टि के कण कण में राम
राम सियाराम, सियाराम, जय जय राम।
#रश्मि

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