करते - करते जाने कब सुबह हुई, मैं खुद से ही खुद में गुम होती चली गई, कितनी ही रातें विचारों में गुजार दी, हर सुबह मेरी जिम्मेदारियों में बीत गई, हर बार रात का इंतजार मैं करती चली गई, क्यूंकि सुबह से शाम मेरी बस यूं ही बीत गई... एक रात ही थी हमेशा जो मुझे मेरे लिए चुनती गई..। #रश्मि