रश्मि सिन्हा   (रश्मि सिन्हा)
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Joined 22 December 2016


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Joined 22 December 2016

में आजकल दोस्ती हो चली है,
शेर का शिकार जो करना है😂
इसलिए गठबंधन नज़र आता है,
शेर आदमख़ोर हुआ जाता है.❤️

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इक गुलाब को मैंने डाली से काटा,
हाय! बेदर्दी की थी,
बदले में बेदर्दी ही पाई,
वो गुलाब ले,
किसी और को दे आई🙂🌷

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पैरों तले कुचले जाते वक्त,
उड़ जाती है,
सूंड पर सवार हो,
कानों तक पहुंच जाती है और
नन्ही चींटी, हाथी की,
जान ले जाती है.

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जलती रहती है शमा की तरह,
फिर पिघल-पिघल कर,
नीचे समा जाती है,
रोती हुई, अपना आकार ,
बिगाड़ती हुई सी--
पर तुम नही आते😥

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जब सिर्फ़ निराश ही हावी थी





फूल ही फूल राहों में खिलते जाते हैं

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क्या पूरक हैं एक दूसरे के?
ये प्रश्न अक्सर मन में उठ जाता है,
फिर अपने अंदर से ही जवाब आता है,
नही, साहस ही हर समय,
काम नही आता है, असमय का साहस,
अक्सर विफ़लता भी दिखलाता है.

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हर कोई मज़दूर है,
पर कोई मजबूर भी है,
मज़दूरी को---
कोई मर्ज़ी का मालिक है,
है भुजाओं पर उसको भरोसा,
मेहनत का वो कायल है.

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थोड़ी देर सर पकड़ कर,
बैठ जाओ, फिर सोचो,
ऐसा हुआ क्यों , शायद तुम्हे,
अपनी निराशा के बीच भी आशा का,
एक उत्तर दिख जाए और तुम हार को भूल कर
एक नए तरीके से ---
सच की खोज में लग जाओ।
रश्मि सहाय

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वो हमसे आगे निकल गए,
जो सब्र को सब कुछ समझ,
रुक गए ,ठहर गए,
कमाया सिर्फ़ उतना ही
जो जरूरी था और हम,
दौड़ते रहे,हैसियत से ज्यादा बटोरा,
और फिर मर गए---😊💐

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और नींद ले उड़ती है,
करवटें बदलते,
रात बीत जाती है और सुबह
घनघोर नींद आती है।

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