RS Verma   (रवि)
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Student...
IAS aspirant...
Joined 2 September 2019


Student...
IAS aspirant...
Joined 2 September 2019
17 MAY 2022 AT 9:45

बहुत याद आएगा।।
जल्दी- जल्दी कॉलेज को आना, रोज़ क्लास मे लेट पहुँचना
आगे की सीट खाली होते हुए भी पीछे बैठना
लेक्चर के समय आपस में बात करना
फोन साइलेंट से हटाकर एक दूसरे को कॉल करना
3 बजे तक कॉलेज मे रहना, आपस मे मस्ती करना
बहुत याद आएगा ।।
रोज़- रोज़ कैनटिन में खाना, ग्राउंड में बैठना
क्लास बंक करना, एक दूसरे को तंग करना
सबको निक नेम से बुलाना, घूमने जाना
क्लास अटेंड करने और न करने के लिए आपस में सहमति बनाना
बहुत याद आएगा।।
वो ऑनलाइन क्लास मे unmute न करना
question पूछे जाने पर network issue का बहाना करना
क्लास join करके फोन साइड मे रख देना
attendence मिलते ही क्लास लीव कर देना
Am I audible पूछे जाने पर सन्नटा रहना
वहुत याद आएगा।।
सर लोगों का सानिध्य, मार्गदर्शन, पढ़ाने का तरीका
पीछे बैठने पर आगे बैठने को बोलना
गलती करने पर समझाना, आगे की राह दिखाना
हिमाचल जाना, पहाड़ों पर चढना, साथ घूमना, खाना, फोटो खींचवाना
बहुत याद आएगा।।
जूनियर के द्वारा मिला farewell party,
मुझे आप लोगों द्वारा इतना ध्यान से सुनना
बहुत याद आएगा।।
किसी को रूम no...किसी को टावर तो किसी को बुद्धि घुटने मे है बोल कर चिढाना
मुझे बागी बलिया , अनुज video call वाला, बिहारी, निरहु, 2.5 फूट और भी अलग- अलग नाम से बुलाया जाना
Metro station पर जान बूझकर 5- 7 मेट्रो छोड़ना
बहुत याद आएगा।।

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29 OCT 2021 AT 16:48

सच सुनने के लिए सवाल कर बैठे
वाह! आपने तो हमें ही झूठा साबित कर दिया ।।

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23 AUG 2021 AT 9:36

Have you ever thought why beauty is always compared with moon...🤔🤔🤔
Because moon shows only one face of himself and keeps his other face secret...

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27 JUL 2021 AT 11:23

बातें तो तुम आज भी वैसे- ही करते हो
ये चेहरे के भाव क्यों छुपाए रहते हो ।।

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12 JUN 2021 AT 1:36

क्या थी मेरी गलती, एक पुष्प बन खिल भी न सकी
थे अरमान लाखों दिल में, एक कली पे ही तोड़ दी गई
अभी तो मुझे खिलना था, मैं किन जिम्मेदारियों तले दबा दी गई
अभी तो खुद के लिए जीना था, ये मैं कहाँ आ गयी
माली की क्या मजबूरी थी, कली बनने पर ही इतनी चिन्ता हो गई
कभी स्वीकार्य नहीं था, कली पर ही तोड़ी जाऊ
टूटना तो था ही, काश! पुष्प बन एक बार तो खिली होती ।।
एक प्रश्न मन में उठता, मेरी क्या गलती थी की खिल भी न पाई
अपनी समझ से पुष्प समझा, इतने भी नासमझ कैसे हो गए
इतनी जल्दी दूर कर दिए, ऐसी भी क्या मजबूरी थी
क्या मेरे सपने बड़े थे, या फिर तुम्हें समाज द्वारा तोड़े जाने का डर था
ऐसे कितने प्रश्नों को सुनाउ, क्या कभी खुद अफ़सोस नही हुआ ।।
बहुत ख़ुश हूँ, कली होते हुए भी पुष्प जैसे रही
कुछ न पता था , सब कुछ जान गई
बहुत खुश हूँ, आँशु होते हुए भी मुस्कुराना सिख गयी
जो सपनें देखती थी, वो सच में सपने ही रह गए
बहुत ख़ुश हूँ, ऐसी क़िस्मत पाने के लिए
बहुत जलन हैं औरों से, इतनी अच्छी क़िस्मत किसी को न मिले
बहुत ख़ुश हूँ, ख़ुश बोलके दुःखों को बताते हुए
बाहर से मुस्कुराते हुए, अंदर से घुटन जैसे जीते हुए
बहुत ख़ुश हूँ, यह सोचते हुए
आखिर क्या थी मेरी गलती, एक पुष्प बन खिल भी न सकी ।।

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6 FEB 2021 AT 1:30

वह फ़रवरी माह- सी प्यारी सी
मैं पीछा करने वाला आशिक- सा ।।
वह फूलों- सी मधुर सी
मैं ढूढ़ता उसको भौरों- सा ।।
वह सूर्योदय- सी प्रसंचित सी
मैं उड़ता गगन में चिड़ियों- सा ।।
वह हीरे- सी क़ीमती सी
मैं लक्ष्य रखने वाला जौहरी- सा ।।
वह परियों- सी आकर्षक सी
मैं स्वप्न लिए आशिक- सा ।।
वह पूर्णिमा- सी सीतल सी
मैं अमावस की अगली रात- सा ।।
वह ब्लैक होल- सी रहस्यमयी सी
मैं खोजता विज्ञान- सा ।।
वह मोती- सी बहुमूल्य सी
मैं लाखों के साथ ढूंढता अपनत्व- सा ।।
अब कुछ उसकी और मेरी बातें हो जाए
वह upsc और मैं उसका एक aspirant ।।

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25 JAN 2021 AT 0:40

जब गिरना तय था तब हिला भी नहीं
आज जब दौड़ना हैं तो ये फ़िसलन कैसा ।।

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25 JAN 2021 AT 0:16

कितना हास्यास्पद है
करेला नींम से कहता हैं
इतना भी आसान नहीं हैं कड़वा होना ।।

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5 DEC 2020 AT 16:45

आज दूसरी बार उनसे मुलाकात हो गई
ख़ैर यह उस क़िस्से का हिस्सा है जिसमें वो कल भी अपने नहीं थे,
फ़िर भी आज पराए हो गए।।

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18 SEP 2020 AT 13:25

I'm like a moon...I too have a dark side...If you have observed it surely you are a good observer...

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