Roza Ahmad 'Aawaaz'   (ruh_ki_aawaaz)
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Joined 22 March 2017


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Joined 22 March 2017
12 APR 2022 AT 14:54

उस ओर इश्क़ ख़ुमारी इस ओर सोगवारी क्यों है?
जिस ज़िन्दगी को ज़रा न चाहा वो हमारी क्यों है?

हीरे और मोती तो जड़े नहीं मेरे पत्थर से दिल में,
फिर बता जाना तुम्हारी बेवजह पहरेदारी क्यों है?

यह दिल तो पहले भी मेरा न था अब भी नहीं है,
मेरे जिसम में किसी और की हिस्सेदारी क्यों है?

कहती है मोहब्बत नहीं की उसने कभी किसी से,
झूठी नहीं मान लिया पर अब भी कुंँवारी क्यों है?

रूह की आवाज़ यकीं जुमले के मायनों का चाहे,
इश्क़ में सुकून है तो फिर यह शब बेदरी क्यों है?

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16 MAR 2022 AT 14:40

___बदला___

मैं बदल गया हूंँ
पहले सा न रहा,
समझने लगा हूंँ
तुमने क्या सहा।

फिर से आया हूंँ,
दूर कर के हया,
मरहम लाया हूंँ,
बनाके कुछ नया।

पुराने घाव थे जो,
उन्हें सहलाना है,
नया मर्ज़ भी तो,
तुम्हें लगवाना है।

गौर करो फिर से,
"दूर कर के हया"
"मैं बदल गया हूंँ"
"पहले सा न रहा"।

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16 MAR 2022 AT 12:03

तुम यादों की गिरफ़्त से निकल जाओ

मेरा लौट आना अब मुमकिन नहीं।

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14 MAR 2022 AT 1:54










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1 MAR 2022 AT 19:12

मेरी उम्र का साठ हो जाना,
तेरी सोहबत का न हो पाना,
दुखता है सहन के परे।

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28 FEB 2022 AT 21:52

मेरी ख़्वाहिश के चन्द बोल,
काँच के बर्तन से चटक गए,
उन्हें उठाने को मैं झुकी जो,
समेटे क्या ख़ुद ही बिखर गए।

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22 FEB 2022 AT 20:24









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8 FEB 2022 AT 19:01












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29 JAN 2022 AT 23:13










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29 JAN 2022 AT 23:10










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