तू रुक नहीं सकती,
तू लड़खड़ा नहीं सकती,
जो ज़िंदगी तूने चुनी है,
उसमे तू हार नहीं सकती।
लोगो से ना रख कोई उम्मीद,
वो मुसाफ़िर है,
अपनी अपनी मंज़िलो को तलाशने
एक दिन निकल जाएँगे।
कब तक बैठ आंसू उनके लिए बहायेगी,
जो बने ही नहीं थे कभी अपने,
वो दूर भला कैसे जाएँगे?
मत भूल माँ बाप की दुलारी है तू,
तेरे एक आंसू से उनका जलता खून है,
क्यों किसी अजनबी के लिये
माँ बाप का खून जलाती है,
हाँ, अजनबी ही तो थे वो,
अपने कहाँ ज़ख़्मी अकेले छोड़ते है?
आज ना कोई दुआ कर उनके लिये,
ना कोई शिकवा रख,
वक़्त पर छोड़ दे सब कुछ,
वक़्त ही मलहम भी
वक़्त ही इंसाफ़ भी।
आज छोड़ के सारे रिश्ते,
ख़ुद से रिश्ता तू जोड़ ले,
ख़ुद आंसू तू पोंछ ले,
ख़ुद जीना तू सीख ले।
तू रुक नहीं सकतीं,
तू लड़खड़ा नहीं सकती,
जो ज़िंदगी तूने चुनी है,
उसमे तू हार नहीं सकती।
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