रातों को जब नींद नहीं आती
तो हम हिसाब करते है, कि जितना किया, क्या उतना पाया? क्यों खुद को इतना सताया?
और जब हिसाब मिलता नहीं, तो सोचते है, छोड़ो... कल का कल देखेंगे, बिना ये सोचे कि वो कल आएगा ही नहीं।
और बस ज़िंदगी जीने का सोचते सोचते, ज़िन्दगी काटने लगते है!
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