ख़ुद को पहचान नही पा रहीं
क्या दिल मे चल रहा उसको समझ नही पा रही
करती थी जिससे प्यार कभी
अब उसको समझने की कोशिश नही कर पा रही
किया था जिसपर ऐतबार इतना
अब उसे मिलने का इन्तेज़ार नही
अब उसको देखने का ख़्वाब नही
कही थी उसने कई बातें ऐसी
जो अभी तक भूल नही पाई
तोड़ दिया था दिल मेरा
पर उसको ऐसा लगा नही
दर्द दे दिया मुझको इतना
पर उसको कोई फर्क नही
क्यों होता है ऐसा
क्या इतनी भी समझ नही
क्यों मन बदल जाता है
इसकी भी ख़बर नही
अब उसके प्यार का एहसास नही हो पाता
क्यों अब उससे मिलने का जिह नही चाहता
क्या होता है ऐसा भी
की दिल का टूटना बदल देता है इंसान को ही..
की दिल का टूटना बदल देता है इंसान को ही।।
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